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बुधवार, 16 सितंबर 2009

चौधरियों की दमदार टक्कर


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- चौधरियों की दमदार टक्कर चुनाव रोचक दौर में पहुंच रहा है। पहले गठबंधन और अब कांग्रेस की टिकट का मसला सभी लोगों की निगाह में है। गठबंधन औंधे मुंह गिर चुके हैं और कांग्रेस की टिकट फाइनल नहीं हो पा रही हैं। भीतरी बनाम बाहरी का नारा बुलंद होने के बाद आलाकमान के सामने धर्मसंकट खड़ा हो रहा है कि क्या करें? लेकिन इन सभी बातों के बीच एक और मसला करो या मरो के दौर में पहुंच चुका है और वह है चौधरी ओम प्रकाश चौटाला तथा चौधरी बीरेंद्र सिंह के बीच की टक्कर का। इनेलो अध्यक्ष के ऐलान के बाद कि वह उचाना से चुनाव लड़ेंगे, सभी की निगाह जाटलैंड के इस इलाके की तरफ घूम चुकी है। चौटाला ने पिछली दफा उचाना के पड़ोस में बसे नरवाना और रोड़ी से किस्मत आजमाई थी। रोड़ी में वह जीत गए पर नरवाना से रणदीप सुरजेवाला के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। परीसीमन में दोनों क्षेत्र फंसने के बाद सभी देख रहे थे कि चौटाला कहां से चुनाव मैदान में उतरते हैं। उनके उचाना से मैदान में उतरने के ऐलान के बाद चौधरी बीरेंद्र के लिए मुश्किल बढ़ चुकी हैं। कोई और होता तो छोटू राम के नाती हरियाणा में घूम-घूमकर दूसरों की मदद भी कर सकते थे। अलबत्ता इस दफा उन्हें खुद को अपने हलके में सीमित करना पड़ेगा। उनके लिए मुश्किल इसलिए भी है कि कांग्रेस के ही बड़े नाम उनकी राह में रोड़ा अटका सकते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी में दो धड़े स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। बीरेंद्र के साथ शैलजा, किरण और राव इंद्रजीत हैं। बाकी जो बचे हैं वह सभी इस दोस्ताने के खिलाफ ही हैं। कहने वाले कहते हैं कि दोनों धड़े अपना जोर दिखाने का मौका जाया नहीं करने वाले, इस तथ्य को ध्यान में रखकर ही ओम प्रकाश चौटाला ने उचाना से उतरने का फैसला किया। उनके लिए इससे ज्यादा मुफीद सीट और कोई हो भी नहीं सकती थी। हुड्डा को चुनौती देने में खतरा है तो कांग्रेस में और कोई नेता ऐसा नहीं जिससे वह आमने-सामने की लड़ाई लड़ें। आज वह अपने जीवन की बेहद अहम लड़ाई लड़ रहे हैं और अपने वर्कर्स को इस बात का एहसास कराना उनके लिए बेहद जरूरी है कि वह पहले की तरह से ही मजबूत हैं। किसी दमदार को पछाड़कर असेंबली पहुंचते हैं तो पार्टी और उनके यानी दोनों के कद में इजाफा हो सकता है। उधर, बीरेंद्र के लिए भी चुनाव रोचक हो चला है। इस बार जीते तो सोनिया गांधी तक वह कह सकने की स्थिति में होंगे कि, मैं मजबूत हूं। लोकसभा की टिकट अदने से जितेंद्र मलिक से गंवाने के बाद वह लगभग चुप से बैठे थे। उचाना में मिली जीत दिल्ली दरबार में उनका कद काफी ऊंचा कर देगी। परदे के पीछे के लोग कहते हैं कि कद में उतार-चढ़ाव की संभावनाएं उचाना के चुनाव में अहम रोल अदा करेंगी। पिछली दफा चौटाला नरवाना में रणदीप से चुनाव केवल इसी वजह से हार गए थे क्योंकि लोगों को एहसास हो चला था कि छोटे सुरजेवाला सीएम बनने की रेस में काफी आगे हो चले हैं। उनकी जेड सिक्योरिटी ने इस बात को पुख्ता किया। कांग्रेस जीतने की स्थिति में थी और जनता ने एक और सीएम से मिलने वाले फायदे के लालच में चौटाला को हरा दिया। कांग्रेस फिर मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है और इसी वजह से उचाना का चुनाव रोचक हो चला है। बीरेंद्र के पक्ष में उनके गृह क्षेत्र की बात के अलावा कांग्रेस की पोजीशन भी है। उनकी छवि एक ऐसे राजनीतिज्ञ की रही है जो बीच के रास्ते में विश्वास रखता है। उधर, चौटाला के पक्ष में सबसे मजबूत चीज उनका अपना नाम है। कांग्रेस के नेता (बीरेंद्र के विरोधी) चुनाव में उनकी कुछ तो मदद करेंगे ही। लोकसभा में इनेलो यह सीट जीत चुकी है और इसके साथ बीरेंद्र का सीएम की रेस से लगातार दूर होते जाना उनके लिए फायदेमंद होगा। एक तथ्य यह भी है कि भिवानी लोकसभा सीट में कांग्रेस की भितरघात अजय को फायदा नहीं पहुंचा पाई लेकिन श्रुति चौैधरी को सबसे ज्यादा फायदा इस बात का मिला था कि वह चौधरी बंसी लाल की वंश बेल हैं जिसे हर कोई बढ़ने से पहले खत्म कर देना चाहता है। केवल इस बात से ही दोनों के बीच की लड़ाई में श्रुति को सहानुभूति मिली। लेकिन उचाना में ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा, ऐतिहासिक पुरुष सर छोटू राम के नाती व प्रदेश की राजनीति के सबसे एग्रेसिव जाट नेता के बीच की लड़ाई दमदार होगी? शैलेंद्र गौतम।

धक्कम-पेल में भी चली निर्दलीयों की रेल


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : हरियाणा के चुनावी इतिहास में आजाद प्रत्याशियों का अच्छा-खासा हस्तक्षेप रहा है। वह चुनाव आयोग के लिए (चुनाव खर्च और समय की बर्बादी के लिहाज से) सरदर्द हो सकते हैं लेकिन बड़े-बड़े दिग्गज भी उनसे डरते हैं। यही वजह है कि हर बार सैकड़ों आजाद उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतरते हैं। हर बार बड़ी संख्या में निर्दलीय विधानसभा पहुंचते हैं। प्रत्याशियों की जमानत जब्त से आज तक निर्वाचन विभाग को मिली कुल राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा आजाद उम्मीदवारों से ही सरकारी कोष में आया है। हर चुनाव में आजाद प्रत्याशियों ने ताल ठोंकी और अपनी अहमियत भी दिखाई। 1967 में हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2005 के विधानसभा चुनाव तक 7384 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतरे, पर 6990 की जमानत जब्त हो गई। प्रदेश के गठन के बाद से अब तक 93 निर्दलीय ही विधानसभा पहुंचे। यह आजाद विधायक विभिन्न अवसरों पर तत्कालीन राज्य सरकारों के लिए कभी सहयोगी बनकर सामने आए तो कभी उन्होंने प्रदेश में राजनीतिक संकट भी पैदा कर दिए हैं। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इन आजाद उम्मीदवारों का मत-प्रतिशत कई राष्ट्रीय पार्टियों से भी कई गुणा अधिक रहा है। 1967 के विधानसभा चुनाव में 260 आजाद उम्मीदवारों ने मोर्चा संभाला पर 196 जमानत गंवा बैठे और 16 उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे। उस समय इन आजाद उम्मीदवारों ने 32.67 प्रतिशत वोट हासिल कर रिकार्ड कायम किया था। 1968 के चुनाव में 161 निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा, 129 की जमानत जब्त हुई और मात्र छह विधायक चुने गए। मत प्रतिशत भी घटकर 17.11 रह गया। 1972 के चुनाव में निर्दलीयों का मत प्रतिशत 23.54 प्रतिशत रहा। 207 ने किस्मत आजमाई, 170 की जमानत जब्त हुई, 11 विधायक चुने गए। 1977 में जनता पार्टी की लहर के कारण आजाद उम्मीदवारों का जलवा कुछ कम हुआ और राज्य में 439 निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतरे और सात विधायक चुने गए। इनका मत प्रतिशत बढ़कर 28.64 हो गया है। हालांकि 390 जमानत गंवा बैठे। 1982 के विधानसभा चुनाव में 835 आजाद प्रत्याशियों ने जनता के बीच दस्तक दी, मगर लोगों ने 796 की जनता ने जमानत जब्त करा दी। 1967 के इतिहास को दोहराते हुए 16 आजाद विधायक चुने गए, मगर उनका मत प्रतिशत कुछ घटकर 27.06 रह गया। 1987 में 1042 आजाद उम्मीदवारों में से 1017 जमानत गंवा बैठे और छह विधायक चुनकर आए। 1991 का चुनाव बेहद रोचक रहा। 1412 निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा, लेकिन पांच ही जीत पाएा। 1397 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इस बार रिकार्ड सबसे कम निर्दलीय विधानसभा पहुंचे। 1996 में सर्वाधिक 2067 आजाद उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और 10 विधायक बने। वर्ष 2000 में 519 निर्दलीयों में से 483 की जमानत जब्त हुई 11 विधायक बने। वर्ष 2005 के चुनाव में सिर्फ 442 आजाद उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिसमें से 411 की जमानत जब्त हो गई और 10 विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे।

ग्रामीण लोक अदालत 19 को मिठड़ी में

डबवाली, (डॉ सुखपाल सावंत खेडा )
उपमंडल के गाव मिठड़ी के सरकारी विद्यालय के प्रागण में 19 सितम्बर को ग्रामीण लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी अध्यक्षता एसडीजेएम महावीर सिंह अध्यक्ष उपमण्डलीय विधिक सेवा समिति तथा जेएमआईसी अमरजीत सिंह सचिव उपमण्डलीय विधिक सेवा समिति डबवाली करेगे। यह जानकारी देते हुए एडवोकेट एसके गर्ग सदस्य मुफ्त कानूनी सेवा समिति डबवाली ने बताया कि इस लोक अदालत में चल व अचल सम्पत्ति, धारा 138, छोटे-मोटे लड़ाई झगड़ों, रिकवरी केसों व अन्य सभी प्रकार के मुकद्दमों का निपटारा मध्यस्तता व सुलह-सफाई से किया जाऐगा। ताकि ग्रामीणों को उनके घर द्वार पर सस्ता व सुलभ न्याय उपलब्ध करवाया जा सके। इसके अलावा कानूनी जागरूकता की एक वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें नरेगा, कन्या भ्रूण हत्या, मनुष्यों की तस्करी, स्त्री को अत्याचारों से बचाने वाले कानूनों, माता-पिता, बुजुर्गो व वृद्धों को उनके परिजनों द्वारा पालन-पोषण किये जाने व गुजारा भत्ता दिलाये जाने तथा ग्रामीणों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

ग्रामीण लोक अदालत 19 को मिठड़ी में

डबवाली, संवाद सहयोगी उपमंडल के गाव मिठड़ी के सरकारी विद्यालय के प्रागण में 19 सितम्बर को ग्रामीण लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी अध्यक्षता एसडीजेएम महावीर सिंह अध्यक्ष उपमण्डलीय विधिक सेवा समिति तथा जेएमआईसी अमरजीत सिंह सचिव उपमण्डलीय विधिक सेवा समिति डबवाली करेगे। यह जानकारी देते हुए एडवोकेट एसके गर्ग सदस्य मुफ्त कानूनी सेवा समिति डबवाली ने बताया कि इस लोक अदालत में चल व अचल सम्पत्ति, धारा 138, छोटे-मोटे लड़ाई झगड़ों, रिकवरी केसों व अन्य सभी प्रकार के मुकद्दमों का निपटारा मध्यस्तता व सुलह-सफाई से किया जाऐगा। ताकि ग्रामीणों को उनके घर द्वार पर सस्ता व सुलभ न्याय उपलब्ध करवाया जा सके। इसके अलावा कानूनी जागरूकता की एक वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें नरेगा, कन्या भ्रूण हत्या, मनुष्यों की तस्करी, स्त्री को अत्याचारों से बचाने वाले कानूनों, माता-पिता, बुजुर्गो व वृद्धों को उनके परिजनों द्वारा पालन-पोषण किये जाने व गुजारा भत्ता दिलाये जाने तथा ग्रामीणों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

बीईओ के रिक्त पद से शिक्षकों को वेतन के लाले




डबवाली, (डॉ सुखपाल सावंत खेडा )
डबवाली के खंड शिक्षा अधिकारी का पद रिक्त होने के कारण डबवाली खंड के प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के करीब 400 शिक्षकों को वेतन के लाले पड़ गए। गौरतलब है कि डबवाली में पिछले कई वषरें से कार्यरत खंड शिक्षा अधिकारी मधु मित्तल की उपजिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नति होने के कारण उनका यहा से तबादला हो गया था। उनके स्थान पर विभाग ने रेवाड़ी के खंड शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति की थी लेकिन उक्त अधिकारी की डबवाली में कार्य करने में रुचि न होने के कारण उन्होंने यहा का पद ग्रहण नहीं किया। जिससे पिछले एक माह से विभाग का कार्य तो प्रभावित हो ही रहा है अब प्राथमिक और मिडिल विद्यालयों में कार्यरत करीब 400 शिक्षकों को वेतन के लाले पड़ गये है। अध्यापकों की माग पर जिला शिक्षा अधिकारी से अनुमोदित एक पत्र खंड शिक्षा अधिकारी के अनुपस्थित रहने की स्थिति में किसी अन्य योग्य व्यक्ति को देने के लिए विभाग के आलस अधिकारियों के पास गया था लेकिन विभाग ने उसे यह कहते हुए वापिस कर दिया कि पहले रेवाड़ी के खंड शिक्षा अधिकारी से यहा पर पद ग्रहण न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मागा जाऐगा और उसके जवाब आने के उपरात इस पर कार्यवाही की जाएगी। विभाग के इस रवैये को लेकर शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है। हरियाणा प्राथमिक शिक्षक संघ की डबवाली इकाई के प्रधान शेषपाल सिंह ने कहा कि वेतन न मिलने शिक्षकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस सप्ताह उन्हे वेतन का भुगतान न किया गया तो खंड शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा के अधिकारी के कार्यालय के समक्ष रोष प्रदर्शन किया जाएगा। इस मौके पर संजीव शर्मा सलाहकार, रमेश सेठी संरक्षक व सचिव सर्व कर्मचारी संघ, इद्रजीत सिंह कोषाध्यक्ष, बनवारी लाल, लुणा राम, रविंद्र कुमार, सुखवीर कौर, उपप्रधान अंग्रेज सिंह, प्रमिंद्र कौर, गुरदयाल सिंह, दलजीत सिंह, गुरदीप सिंह, राजेंद्र सिंह, नरेश कुमार, नवीन कुमार, सीमा शर्मा, सरोज रानी, शर्मिला, बिर्मला, मधू बाला, बलजिंद्र सिंह, प्रेम कुमार आदि अध्यापक शामिल थे।

केबल ऑपरेटरों का विवाद फिर शुरू

डबवाली,(डॉ सुखपाल सावंत खेडा )शहर में केबल का प्रसारण कर रहे सिटी केबल व राधे-राधे केबल के ऑपरेटरों का आपसी झगड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा तथा एक-दूसरे पर तारे काटने व एम्पलीफायर चोरी करने के आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे है। जानकारी अनुसार सिटी केबल के पार्टनर सुरेश कनवाड़िया अपने साथी टोनी के साथ बीती देर रात 10 बजे मोटरसाइकल द्वारा अपने घर जा रहे थे कि बाल्मीकि चौक के समीप एक मार्शल गाड़ी नम्बर 1012 में राधे-राधे केबल के संचालक भीम सहारण, गुरसेवक, मंगत सहारण आदि ने 8-10 लोगों ने हमारे मोटरसाइकल के आगे लगा कर मोटरसाइकल रुकवा लिया तथा मुझे जबरदस्ती गाड़ी में चढ़ाने लगे। ये सभी हथियारों से लैस थे। उसने बड़ी मुश्किल से अपने-आप को इन लोगों से छुड़वाया तथा पास स्थित वैद्य राम दयाल शर्मा के पुत्र नरेन्द्र शर्मा के घर पर छुप कर अपनी जान बचाई। यह सभी हथियारों से लैस मेरे पीछे उनके घर में घुस गए, तभी शोर सुन कर आप-पास व रेगर मौहल्ले के लोग जमा हो गए तथा लोगों का हजूम देख कर यह लोग वहा से भाग खडे़ हुए। सुरेश कनवाड़िया ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि वह पिछले 15 वर्षो से केबल का कार्य कर रहे है तथा कुछ समय से भीम सहारण इस धन्धे में आया है तभी से हमारा विवाद चल रहा है। उसने इन लोगों के खिलाफ चोरी का मुकद्दमा थाना शहर में दर्ज करवाया हुआ है। परन्तु पुलिस प्रशासन इनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही। उधर राधेराधे केबल के कारिन्दे नवीन कुमार ने बताया कि सिटी केबल संचालकों ने हमारी केबल वायर काट दी है। जिससे हमें काफी आर्थिक हानि हुई है। केबल उपभोक्ताओं ने पुलिस प्रशासन से माग की है कि दोनों केबल संचालकों को तलब कर समस्या का समाधान करवाएं ताकि हम रोज-रोज की परेशानी से बच सकें।

अब शहीदे-आजम भगत सिंह का अपमान


(डॉ सुखपाल सावंत खेडा )
शहीद ए आजम भगत सिंह की जन्म तिथि को लेकर अभी भी इतिहासकारों में उलझनें बनी हुई हैं। कुछ लोग उनके जन्मदिन को 27 सितंबर 1907 मानते रहे हैं तो कुछ 28 सितंबर 1907। लेकिन इस संबंध में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड मोहाली ने एक नई ही तिथि पेश कर दी है। बोर्ड द्वारा मिडिल श्रेणियों के लिए पंजाबी व्याकरण अते लेख रचना शीर्षक के तहत छापी किताब के पेज नंबर 121 पर शहीद भगत सिंह का जन्म 11 नवंबर सन 1907 को जिला लायलपुर के गांव बंगा में हुआ बताया गया है। इसके अलावा पेज नंबर 122 में सन 2007 में जन्म शताब्दी देशभर में मनाई गई लिखा हुआ है। इसे शहीदे आजम का अपमान ही कहा जाएगा। विभिन्न संस्थाओं ने इस किताब को तुरंत वापिस लेने या फिर इसे संशोधित करने की मांग की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार खटकड़ कलां स्थित शहीद भगत सिंह के स्मारक में रखी गई उनकी जन्मपत्री के अनुसार शहीद भगत सिंह की जन्मतिथि 27 सितंबर 1907 है। शिक्षा बोर्ड द्वारा की गई इस गलती लेकर लोगों में रोष पाया जा रहा है। यह पुस्तक सचिव स्टेट प्रोजेक्ट निदेशक, सर्व शिक्षा अभियान अथारिटी पंजाब चंडीगढ़ द्वारा प्रकाशित व आनंद ब्रदर्स, सी-146, नारायणा फेस-1 नई दिल्ली द्वारा छापी गई है। अफसोस की बात है कि इस किताब को प्रकाशित करने वाले शिक्षाविदें ने इस गलती को अभी तक नजर अंदाज किया हुआ है। यह पुस्तक पंजाब सरकार द्वारा निशुल्क दी गई है और यह बिक्री के लिए नहीं है। पंजाब के समूह स्कूलों में यह पुस्तक बच्चे पढ़ रहें है। सरकारी सूत्रों के अनुसार स्कूली बच्चों को वही पढ़ाया जा रहा है, जो पुस्तक में छप कर आया हुआ है। सरकारी स्कूल के एक टीचर ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस पुस्तक में ऐतिहासिक तथ्यों से किया गया खिलवाड़ दुखद है। शहीद-ए-आजम भगत सिंह यूथ क्लब कपूरथला के अध्यक्ष रिंकू कालिया, संदीप शर्मा, नीतू खुल्लर, महासचिव प्रभजीत सिंह जॉली, कानूनी सलाहकार चंद्रशेखर ने कहा कि इस पुस्तक के प्रकाशक व बोर्ड को सबसे पहले माफी मांगनी चाहिए और फिर इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इसपर कोई कार्रवाई न हुई तो कड़ा कदम उठाया जाएगा। यह सरासर शहीदे-आजम की शहादत का मजाक है जिसे संस्था किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी। उधर, पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. दलबीर सिंह ढिल्लों ने कहा कि वह इस मामले की पूर्ण पड़ताल करेंगे। यह गलती अंजाने में हुई है और जल्द ही शहीदे-आजम की गलत जन्म तिथि में संशोधन किया जाएगा।

राहुल गांधी की ट्रेन पर पथराव

डबवाली, (डॉ सुखपाल सावंत खेडा )


हरियाणा में पानीपत के निकट अमृतसर-नई दिल्ली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस पर मंगलवार रात पथराव किया गया। जिसमें कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी सवार थे। राहुल उन तीन डिब्बों में यात्रा नहीं कर रहे थे जिन पर पथराव किया गया।

इस घटना में किसी यात्री के घायल होने की तत्काल सूचना नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार घटना में राहुल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। घटना रात साढ़े नौ बजे हुई पानीपत के निकट बाबरपुर स्टेशन की है।

जानकारी के अनुसार राहुल गांधी पंजाब के लुधियाना में पार्टी प्रचार के बाद दिल्ली के लिए लौट रहे थे। रास्ते में पानीपत के निकट बाबरपुर स्टेशन में कुछ लोगों ने गाड़ी में पथराव कर दिया। पथराव की सूचना मिलते ही चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक अधिकारियों में हड़कंप मच गया।

पथराव से तीन डिब्बों सी वन,सी टू और सी फोर की खिड़कियां क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के समय ट्रेन बीस किलोमीटर प्रतिघंटे की चाल से चल रही थी। राहुल ट्रेन के सी थ्री डिब्बे में सफर कर रहे थे। घटना के दौरान ट्रेन को नहीं रोका गया।

जीआरपी की एसपी चारूबाली का कहना है कि शुरुआती जांच से पता चला है कि स्टेशन किनारे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों ने गाड़ी में पथराव किया है। जानकारी के अनुसार पथराव करने वाले युवकों की उम्र 18 से 25 साल के बीच है। इसी बीच रेलवे प्रवक्ता ने कहा है कि कुछ पत्थर ट्रेन के अंदर भी गिरे। उन्होंने कहा कि उनकी ट्रेन अधीक्षक से इस संबंध में उनकी बातचीत हुई है। ट्रेन अधीक्षक ने उन्हें बताया कि घटना से राहुल विचलित नहीं थे।

याद रहे कि राहुल ने अपनी मां सोनिया गांधी और कुछ केंद्रीय मंत्रियों की राह पर चलते हुए खर्च बचाने के लिए ही शताब्दी एक्सप्रेस के कुर्सीयान में यात्रा कर नई दिल्ली से लुधियाना पहुंचे थे। वापसी पर वह अमृतसर-नई दिल्ली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस में सवार थे।

एक परिवार के सात जन की नृशंस हत्या


रोहतक( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात में अज्ञात लोगों ने एक परिवार के सात लोगों की नृशंस हत्या कर दी। सभी के गले पर निशान और शवों का रंग नीला पाया गया। दिल दहला देने वाला यह कांड जिले के गांव कबूलपुर में सोमवार रात को अंजाम दिया गया। इस सामूहिक हत्याकांड के बारे में लोगों को मंगलवार सुबह सात बजे उस समय पता लगा, जब परिवार का मुखिया तकदीर (75) अपने बेटे सुरेंद्र के घर गया। घर में सुरेंद्र (42), उसकी पत्नी प्रोमिला (38) व सुरेंद्र का लड़का अरविंद (15), सुरेंद्र के छोटे भाई भूपेंद्र की बेटी सोनिका (11) व मोनिका (आठ) और बेटा विशाल (सात) मृत हालत में मिले। इसके बाद तकदीर सामने वाले मकान में पहंुचा, जहां उसकी पत्नी भूरी देवी सो रही थी। हत्यारों ने भूरी देवी को भी मार डाला था। सुरेंद्र और उसकी पत्नी के शव एक चारपाई पर थे। चारों बच्चों के शव भीतर कमरे में थे। सुरेंद्र की बड़ी लड़की सोनम (18) गायब मिली। तलाशने पर सोनम बाथरूम में बेसुध हालत में मिली। मकान के चौबारे में दो इलेक्टि्रशियन भी सोए हुए थे। दोनों युवक बिजली फिटिंग करने के लिए सुरेंद्र के मकान आए हुए थे। रात को वहीं रुक गए। दोनों युवकों को सुबह ग्रामीणों ने जगाया, तब उन्हें इस वारदात का पता चल पाया। रात को खाना खाने के बाद उन्हें कुछ पता नहीं कि क्या हुआ। माना जा रहा है कि हत्यारों ने सबको पहले नशीला पदार्थ खिलाया या सुंघाया, फिर सबको गला घोंटकर मार डाला। सुरेंद्र की पत्नी प्रोमिला, साल्हावास से पूर्व विधायक जिले सिंह की बेटी थी। चाय नहीं पहुंची तो आना पड़ा : सुरेंद्र के पिता तकदीर सिंह गांव के बाहरी इलाके में बने मकान में रहते हैं। तकदीर सिंह ने बताया कि सुबह की चाय नहीं पहुंची तो उसे सुरेंद्र के घर जाना पड़ा। इस बुजुर्ग ने बताया कि सुरेंद्र की किसी से कोई रंजिश नहीं थी। लूट का भी किया ड्रामा : हत्यारों ने पूरे घर की अलमारी व अन्य जगहों को भी खंगालने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस मानती है कि यह सब ध्यान बंटाने के लिए किया गया है, असल में ऐसा कुछ नहीं है। फोरेंसिक एक्सपर्ट ने इस बात को नोट किया कि सूटकेस और पर्स को खोलने का प्रयास तक नहीं किया गया। प्रापर्टी विवाद में खत्म किया गया पूरे परिवार को! : पूरे परिवार को खत्म करने की वजह को लेकर परिजन, ग्रामीण और पुलिस खामोश हैं। सुरेंद्र के पिता भी कह चुके हैं कि किसी से उसके बेटे की रंजिश नहीं थी। लेकिन, सुरेंद्र के ससुर पूर्व विधायक जिले सिंह सीधे कहते हैं कि उसके दामाद के परिवार को प्रापर्टी विवाद के चलते मारा गया।

आम आदमी बने राहुल


लुधियाना( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : पार्टी के फैसले और मां सोनिया गांधी के नक्शे-कदम पर चलते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी आम आदमी का सिपाही तैयार करने के लिए आम आदमी बनकर मंगलवार को शताब्दी एक्सप्रेस की चेयर कार में लुधियाना पहुंचे। उल्लेखनीय है कि कल महाराष्ट्र के दौरे पर गई पार्टी प्रधान सोनिया गांधी ने इकोनामी क्लास में हवाई यात्रा थी। राहुल यहां यूथ कांग्रेस के राज्यस्तरीय शिविर युवा दृष्टि-2009 संबोधित करने पहुंचे थे। राहुल शताब्दी एक्सप्रेस की बोगी सी थ्री में बैठे थे। चेयर कार संख्या 66 से 69 तक चार सीटें बुक थीं। उनके साथ राजस्थान के सांसद जितेंद्र सिंह व सचिव कनिष्क थे। चौथी सीट सचिन राव के नाम बुक थी लेकिन वह नहीं आ पाए। ट्रेन निर्धारित समय करीब 11.15 बजे यहां पहुंची। रेलवे स्टेशन से आयोजन स्थन तक वह टाटा सफारी से गए। स्टेशन पर राहुल के स्वागत को पंजाब के कांग्रेसी उमड़े हुए थे। वरिष्ठ कांग्रेसी लाल गुलाब व पुष्पगुच्छ लेकर लाइन में खड़े थे पर राहुल ने खास तवज्जो नहीं दी। ट्रेन से उतरते ही सीधे स्टेशन से बाहर निकलकर गाड़ी में बैठे और शिविर के मसौदे की फाइल पर नजरें टिका दीं। राहुल ने लंच में शाकाहारी भोजन लिया। यूथ कांग्रेस की बैठक में भी वह कार्यकर्ताओं में ही बैठे। शाम को वह स्वर्ण शताब्दी से ही लौट गए। बोगी सी-3 में 11 से 13 नंबर की सीटें बुक थीं।

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