डबवाली न्यूज़ डेस्क
जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से भ्रष्टाचारी रूप जिन्न को पहचानना और उसे दबोचने की अहम जिम्मेवारी एसआईटी (विशेष जांच दल) के कंधों पर है। यह चुनौती भरा कार्य पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) आर्यन चौधरी की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय टीम को सौंपा गया है।जांच टीम द्वारा मामले को सिरे चढ़ाने पर पूरे महकमे का हिलना तय है, चूंकि 58 डिपू होल्डरों और विभाग के एक दर्जन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज पुलिस एफआईआर के अनुसार कार्यवाही होनी है। लगभग तीन वर्ष पहले दर्ज हुए इस मामले में विभाग के तत्कालीन चार डीएफएससी, दो एएफएसओ और 6 इंस्पेक्टर नामजद है। लाखों रुपये के गेहूं घोटाले में सिरसा जिला के 58 डिपू होल्डरों की सप्लाई तत्काल बंद कर दी गई थी।
दरअसल, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में कंठ तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसलिए विभाग पर सर्वाधिक आरोप लगते है। इस विभाग का सीधा संबंध आमजन से है। डिपू होल्डरों के माध्यम से राशन का घोटाला करने पर विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगते रहें है। लगभग तीन वर्ष पूर्व एक डिपू होल्डर द्वारा ही मामले का भंडाफोड़ किया गया था। उसकी ओर से शिकायत दर्ज करवाई गई कि विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने चहेते डिपू होल्डरों को अधिक मात्रा में गेहंू का आंवटन कर दिया, जिसे कार्डधारकों को वितरित नहीं किया गया। बल्कि उसे खुले बाजार में बेचकर कालाबाजरी की गई है। मामले में जांच हुई तो सामने आया कि लगभग 5000 क्विंटल गेहूं का घोटाला किया गया है। मामले में अक्टूबर-2017 में जिला के 58 डिपू होल्डरों के साथ-साथ विभाग के एक दर्जन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। लेकिन मामले को दबा दिया गया था। पीडि़त पक्ष की ओर से कोर्ट का द्वार खटखटाया गया और मामले की निष्पक्ष जांच करवाने और दोषियों को दंडित करवाने का आग्रह किया गया। कोर्ट के आदेश पर ही एसआईटी का गठन किया गया। अब एसआईटी ने मामले में छानबीन शुरू कर दी है। उम्मीद है कि जल्द ही विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को सलाखों के पीछे भेजने का सिलसिला शुरू होगा।
रिकार्ड लिया, जल्द जांच होगी : चौधरी
पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) आर्यन चौधरी ने बताया कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मामले में जांच का कार्य तेज कर दिया गया है। अब तक विभाग से रिकार्ड जुटाया जा रहा था, कुछ रिकार्ड अभी भी बाकी है। एसआईटी ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अलावा डिपू होल्डरों से भी रिकार्ड ले लिया गया है। तमाम रिकार्ड की पड़ताल की जाएगी और इस बारे में जल्द ही रिपोर्ट दाखिल की जाएगी।
इन पर है मामला दर्ज
पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के तत्कालीन डीएफएससी सुभाष सिहाग, डीएफएससी राजेश आर्य, डीएफएससी दिवानचंद शर्मा, डीएफएससी हंसराज भादू, एएफएसओ नरेंद्र सरदाना, एएफएसओ जगतपाल के अलावा विभाग के 6 इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। हालांकि मामले में एक अन्य इंस्पेक्टर का नाम बाहर रखने का भी आरोप है।
बेगुनाह भी बनाए आरोपी!
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा जिन 58 डिपू होल्डरों को आरोपी बनाया गया है, बताया जाता है कि उनमें कुछ बेगुनाह है। दरअसल, जांच को भटकाने के लिए ऐसा किया गया है। बेगुनाह डिपू होल्डरों द्वारा अपनी बेगुनाही साबित की जाएगी, जिससे गुनहगारों को भी लाभ मिलेगा और वे भी बच पाएंगें। यही वजह है कि दर्जनभर से अधिक डिपू होल्डरों द्वारा मामले की त्वरित जांच की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है। उनकी मांग पर ही एसआईटी का गठन हुआ है।
ये कैसा न्याय?
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में हुए गेहूं घोटाले के मामले में दोहरा रवैया अपनाया गया। विभाग द्वारा पुलिस में मामला दर्ज करवाते ही आरोपी डिपू होल्डरों की सप्लाई सस्पेंड कर दी गई। मगर, मामले में विभाग के जो अधिकारी आरोपी बनाए गए। उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्हें न तो निलंबित किया गया और न ही उनका मुख्यालय ही बदला गया। यानि उन्हें तथ्यों से खेलने, रिकार्ड नष्ट करने की खुली छूट प्रदान कर दी गई। मामले में आरोपी अधिकारी आज भी पहले की भांति अपनी ड्यूटी बजा रहे है।
विभाग से रिकार्ड गायब!
घपले-घोटाले के मामले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से रिकार्ड ही खुर्द बुर्द कर दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने डेढ़ दर्जन फाइलों के गुम होने की बात राज्य सूचना आयोग में स्वीकार की गई। डिपू होल्डर प्रेम जैन की ओर से सूचना आयोग में अपील दाखिल की गई थी और सूचना प्रदान करने का आग्रह किया गया था। तब विभाग की ओर से बताया गया कि रिकार्ड से 17 फाइलें गुम है। आयोग ने विभाग को गुम हुई फाइलों के मामले में दर्ज करवाई गई एफआईआर तलब की गई। लेकिन आज तक न तो विभाग ने फाइलों की गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज करवाई गई और न ही वांछित सूचना ही प्रदान की गई।