
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए हरियाणा में एक बार फिर शासन करने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि उनके विरोधियों ने दांव तो खूब चले, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनके नाम पर ही मुहर लगाई। शनिवार आधी रात बाद पृथ्वीराज चह्वाण ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी। हुड्डा राज्य के पहले मुख्यमंत्री होंगे जो लगातार दूसरी बार कुर्सी संभालेंगे। हरियाणा में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को हरियाणा जनहित कांग्रेस ने समर्थन देने की हामी भर ली है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के नेता कुलदीप बिश्नोई इसके बदले अपने पांचों विधायकों को सरकार में शामिल कराएंगे। वह खुद फिलहाल कोई पद नहीं लेंगे। हरियाणा की कुर्सी का फैसला करने के लिए शनिवार को दिन भर यहां नेताओं की सरगर्मी जारी रही। शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की हुई बैठक में पार्टी के दो दर्जन से अधिक नवनिर्वाचित विधायकों ने हुड्डा के नाम की वकालत तो की थी, लेकिन चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद पैदा हुई स्थितियों के चलते प्रस्ताव पास करके मुख्यमंत्री के नाम पर फैसले का अधिकार आलाकमान को दे दिया था। लिहाजा विधायक दल की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए तीनों पर्यवेक्षकों-मोहसिना किदवई, पृथ्वीराज चह्वाण और वीके हरिप्रसाद ने शनिवार को यहां दिल्ली में सोनिया गांधी से मिल कर उन्हें स्थिति से अवगत कराया। तब मुख्यमंत्री तय करने के लिए दिन भर दिल्ली में विचार-विमर्श का दौर चला। आलाकमान ने पर्यवेक्षकों से बातचीत के बाद राज्य के अपने सांसदों की भी राय ली। सूत्र बताते हैं कि पार्टी महासचिव व हरियाणा की प्रभारी मोहसिना किदवई के आवास पर हुई एक बैठक में पार्टी के ज्यादातर सांसदों ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन पर जोर दिया। सांसदों ने यह भी सवाल उठाया कि पूरे चुनाव में टिकट बांटने से लेकर सारे फैसले में मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ही चली, बावजूद इसके जाट बहुल जींद, कैथल और कुरुक्षेत्र में पार्टी बुरी तरह हार गई। यह सवाल फिर उठा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास को रोहतक व सोनीपत तक ही सीमित रखा और चुनाव में पार्टी को उसका भी खामियाजा भुगतना पड़ा। इस बीच, चुनाव के पहले से ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी शनिवार को यहां सोनिया गांधी से मुलाकात की। समझा जाता है कि आलाकमान ने पार्टी के खराब प्रदर्शन और उसकी वजहों पर बातचीत के लिए उन्हें बुलाया था। हालाकि वीरेंद्र सिंह इस बार चुनाव हार गए हैं और हरियाणा की राजनीति में वे हुड्डा के विरोधी बताए जाते हैं। खबर यह भी है कि हुड्डा ने भी देर शाम पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर अपनी स्थिति साफ कर दी। उधर, हुड्डा की विरोधी मानी जाने वाली किरण चौधरी ने भी अलग से अपने समर्थक नेताओं के साथ बैठक की। फरीदाबाद के सांसद अवतार सिंह भड़ाना के घर पर उन नेताओं की अलग से बैठक हुई, जो हुड्डा को दूसरा मौका देने के खिलाफ थे। लेकिन इन नेताओं की नहीं चली और आलाकमान ने कमान हुड्डा के हाथों में ही रहने देने का फैसला लिया।
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