डी वेलुसामी की अपील पर यायाधिश मरकडेय काटजू की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह व्यवस्था दी है कि शादी नहीं भी की है तो भी अगर आप संबंध तोड़ लेते हैं तो आप गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से नहीं बच सकते. बेंच ने यह भी कहा है कि 1960 के दशक से बिना विवाह के साथ रहने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि भारतीय कानून में अभी इसकी इजाजत नहीं है, पर अमेरिका में न्यायालय ऐसे मामलों में ‘तलाक भत्ता सिद्धांत’ के आधार पर राहत देती है.
डी वेलुसामी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि पत्चाइम्मल कानूनी तौर पर विवाह बंधन में नहीं बंधी है और इसलिए वह किसी भुगतान की हकदार नहीं है. मगर तमिलनाडु के एक न्यायालय ने डी पत्चाइम्मल को पांच सौ रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इसके बाद वेलुसामी ने सर्वोच्च न्यायालय में गए... ..
डी वेलुसामी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि पत्चाइम्मल कानूनी तौर पर विवाह बंधन में नहीं बंधी है और इसलिए वह किसी भुगतान की हकदार नहीं है. मगर तमिलनाडु के एक न्यायालय ने डी पत्चाइम्मल को पांच सौ रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इसके बाद वेलुसामी ने सर्वोच्च न्यायालय में गए... ..
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