डबवाली (यंग फ्लेम)शहर को कचरामुक्त बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, इसके बावजूद अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहर कचरा का घर बना हुआ है। जहां नजर डालो, गंदगी ही गंदगी नजर आती है। शहरवासियों द्वारा बार-बार आवाज उठाने के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। लगता है अधिकारियों को जनता की समस्या से कोई सरोकार नहीं है। शहर का कचरा खपाने के लिए कचरा प्लांट लगाने की योजना भी अधर में लटक गई। इसके पीछे अधिकारियों का निक्कमापन जिम्मेदार है। नगरपालिका द्वारा घरों व बाजारों से कचरा एकत्रित करने के लिए रिक्शा लगवाई गई थी लेकिन अब वह भी सड़कों से गायब हो चुकी है। शहर गंदगी का सबसे बड़ा अड्डा बनता जा रहा है। जि कारण पशु दिन भर गंदगी के इर्द-गिर्द विचरण करते रहते थे और कचरे को इधर-उधर बिखेर देते थे। बरसात के कारण अब कचरा बदबू मारने लगा है और मच्छर पनप रहे हैं। लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि जब लाखों रूपए की लागत से नगरपालिका द्वारा मंगवाई गई रिक्शा भी बेकार में खड़ी जर्जर हो रही है। इन सवालों के जवाब शहर की जनता अधिकारियों से जानना चाहती है पर अधिकारी है कि हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। यदि अधिकारी इसी तरह से जनता की उपेक्षा करते रहे तो उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।बारिश के पानी की निकासी का नहीं प्रबंध
शहर की दूसरी सबसे बड़ी समस्या बारिश के पानी की निकासी की है। जब बारिश होती है तो पानी एक सप्ताह तक गलियों, खाली प्लाटों या सड़कों पर भरा रहता है। बठिंडा चौक, मलोट रोड पर स्थित रेलवे फाटक पर कुछ ऐसे ही हालात बने हुए हैं जहां बारिश का पानी कई दिनों से भरा हुआ है। खाली प्लाटों में भरा हुआ पानी तालाब जैसा लगता है। उनके अंदर मच्छर पैदा हो रहे हैं जो मलेरिया को बढ़ावा दे रहे हैं। शहर के कुछ अन्य हिस्सों में भी बारिश का पानी भरा हुआ है जिसकी निकासी के लिए प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए ग
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रविवार, 18 सितंबर 2011
सफाई के अभाव में शहर बना कचरा घर
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