डबवाली (यंग फ्लेम) हरियाणा में कपास-नरमा पर मार्केट फीस कम करने की मांग को लेकर सोमवार को हरियाणा कॉटन जिनिर्स एसोसिएशन, पक्का आढ़तिया एसोसिएशन तथा कच्च आढ़तियां एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा स्थानीय एसडीएम मुनीश नागपाल की मार्फत हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम एक ज्ञापन पत्र सौंपा गया तथा मार्केट कमेटी के समक्ष सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक धरना प्रदर्शन किया। ज्ञापन द्वारा व्यापारियों व सरकार को हो रहे नुकसान से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। उन्होंने लिखा कि व्यापारियों द्वारा हरियाणा राज्य में कपास-नरमा पर मार्केट फीस एवं एचआरडीएफ 4 प्रतिशत है जबकि पड़ौसी राज्य पंजाब में 2 प्रतिशत व राजस्थान में 0.80 से 1.60 प्रतिशत है। जिस कारण हरियाणा राज्य का नरमा उपरोक्त पड़ोसी राज्यों की मंडियों में बिक रहा है तथा हरियाणा में कॉटन जिनिंग उद्योग एवं इससे जुड़े किसान-मजदूरों, कच्चा आढि़तियां एवं पक्का आढ़ंतियां संकट की स्थिति में है। उन्होंने बताया कि नरमा-कपास की आवक मंडिय़ों में शुरू हो चुकी है और उपरोक्त टैक्स अधिक होने की वजह से किसानों को उनके नरमे का भाव 300 से 400 रूपए कम मिल रहा है। पड़ौसी राज्यों में टैक्स कम होने के कारण किसानों ने दूसरे पड़ोसी राज्यों का रूख कर लिया है। इसी कारण सरकार को न केवल मार्केट फीस का नुकसान हो रहा है बल्कि 5.25 प्रतिशत वैट जो कि नरमा-कपास पर लगता है उसका भी नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। किसानों की उपज दूसरे राज्यों में जाने से कच्चा आढ़तिया, पक्का आढ़तिया, मजदूर, किसान एवं कॉटन जिनिंग से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। नरमा-कपास वैट प्रणाली की विसंगतियों के कारण कॉटन उघोग का करोंडों रूपए वैट रिफंड के रूप में बिना वजह पड़ा है जिस कारण कॉटन उघोग बहुत भारी वित्तीय संकट से गजुर रहा है। हरियाणा कॉटन जिनिर्स एसोसिएशन, पक्का आढ़तियां एसोसिएशन एवं कच्चा आढ़तियां एसोसिएशन ने सरकार से मांग की कि मार्केट फीस तथा एचआरडीएफ मिलकार एक प्रतिशत फीस की जाए एवं वैट कच्चा आढ़तियों की बजाए मिल मालिकों से भरवाकर बंद होने के कगार पर खड़े कॉटन उद्योग को बचाया जा सके।
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मंगलवार, 20 सितंबर 2011
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