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शुक्रवार, 4 सितंबर 2009
एक चमत्कारी ऑपरेशन
Dabwali(Dr.Sukhpal)
दिल्ली के डॉक्टरों ने जो कर दिखाया है उसे किसी करिश्में से कम नहीं आंका जा सकता है. कम से कम 10 साल के एक बच्चे के लिए तो यह नए जीवन जैसा ही है.
आप सोच रहे होंगे कि भला डॉक्टरों ने ऐसा क्या कमाल कर दिया है. पर सुनकर शायद आपको लगेगा कि दिल सीने से बाहर निकल आएगा. मामला भी दिल का ही है.
और यह दिल है 10 दिन के एक बच्चे का. इस बच्चे के जन्म के वक़्त उसका दिल सीने से बाहर था.
इस कथई रंग के लगातार धड़कते दिल के सहारे बच्चे का जीवन 10 दिन का समय पार कर चुका था. पर इस दिल को बच्चे के सीने के अंदर करने की बात सोचना तो दूर, देखकर भी लोग सिहर जाते थे.
यह स्थिति बेहद पेचीदा और ख़तरनाक भी थी. पर दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के चिकित्सकों ने इस चमत्कार को कर दिखाया है.
बच्चे का ऑपरेशन करके दिल को सीने के अंदर एक जगह बनाकर सुरक्षित कर दिया गया है. बाहर धड़कता दिल अब सीने के अंदर है. बच्चा डॉक्टरों की निगरानी में है.
चमत्कार से कम नहीं
इस बच्चे का पूरा हृदय छाती के बाहर था. यह सबसे बड़ी चुनौती थी. दूसरा यह कि दिल की स्थिति नाज़ुक थी. तीसरी चुनौती थी शरीर में दिल के लिए जगह बनाना क्योंकि इस बच्चे के शरीर में हृदय के लिए जगह नहीं थी.
डॉक्टर एके बिसोई, एम्स
दरअसल, जिन बच्चों में ये समस्या देखी गई है, वो या तो मृत पैदा हुए हैं और या फिर आमतौर पर 36 घंटे के भीतर उनकी मौत हो गई है.
पर दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टर एके बिसोई के नेतृत्व में काम कर रही टीम ने एक बहुत ही दुर्लभ ऑपरेशन में इस बच्चे को बचा लिया है.
उन्होंने बीबीसी को बताया, “जब बच्चा अस्पताल पहुंचा तो उसका दिल सूख चूका था. उसे संक्रमण भी था. पहले बच्चे को स्थिर किया, संक्रमण को नियंत्रण में किया. उसको 9 दिन तक जिंदा रखा. ये ही अपने आप में एक उपलब्धि है क्योंकि इससे पहले ऑपरेशन के पूर्व कोई भी बच्चा सात दिन से ज़्यादा जिंदा नहीं रहा है.”
डॉक्टर बिसोई ने बताया, “इस बच्चे का पूरा हृदय छाती के बाहर था. यह सबसे बड़ी चुनौती थी. दूसरा यह कि दिल की स्थिति नाज़ुक थी. तीसरी चुनौती थी शरीर में दिल के लिए जगह बनाना क्योंकि इस बच्चे के शरीर में हृदय के लिए जगह नहीं थी.”
उन्होंने बताया कि शायद यह इकलौता मामला है जिसमें बच्चा इतने दिनों तक और फिर ऑपरेशन के बाद जीवित बचा है.
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