
( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : शिरोमणि अकाली दल की हरियाणा इकाई हरियाणा में विधानसभा चुनाव इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से मिलकर लड़ना चाहती है। उसका मानना है कि अगर इनेलो व शिअद मिल जाएं तो गठबंधन हरियाणा में सत्ताधारी कांग्रेस का सफाया कर सकता है, लिहाजा उसने हाईकमान से चुनाव लड़ने व इनेलो से हाथ मिलाने की इजाजत मांगी है। हाईकमान ने अव्वल तो हरियाणा में चुनाव लड़ने या न लड़ने और इनेलो से गठबंधन के मुद्दे पर एक-दो दिन में निर्णय कर लेने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में सत्तारूढ़ अकाली दल की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने हाल ही में हरियाणा में इनेलो से रिश्ते तोड़े हैं। अब अकाली दल का इस बाबत किसी भी फैसले पर सबकी नजर रहेगी। हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष जत्थेदार जोगिंदर सिंह अहरवां, एसजीपीसी सदस्य बलदेव सिंह कैम्पुर, परदीप सिंह भानखेड़ी, हरदम सिंह सिरसा के अलावा हरदीप सिंह निडर, तेजिंदर सिंह ढिल्लों, हरभजन सिंह मसाना, शरनजीत सिंह, हरपाल सिंह रिप्पी, निरंजन सिंह भानखेड़ी, अजीत सिंह अंबाला, जरनैल सिंह बड़ौला और अभय सिंह निडर ने शुक्रवार को शिअद के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में शिअद अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल से मुलाकात की। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई और सुखबीर से गठबंधन करने की इजाजत मांगी। इस बैठक के दौरान शिअद महासचिव बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और सचिव डा. दलजीत सिंह चीमा भी उपस्थित थे। जत्थेदार अहरवां ने कहा कि शिअद की हरियाणा इकाई महसूस करती है कि हरियाणा में कृषि, पर किसानों, गरीबों की समस्याओं के समाधान और पंजाबी भाषा जैसे मसलों के लिए अकाली दल को अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि हरियाणा में इनेलो और शिअद मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस का सफाया कर दिया जाएगा। अहरवां ने सुखबीर से इनेलो पार्टी अध्यक्ष से मिलकर सीटों के बंटवारे का मामला तय करने का अनुरोध किया और बलपूर्वक कहा कि चुनाव हर हाल लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि अकाली दल हरियाणा में पार्टी को सभी सीटों पर विजय दिलाएगा। इसके साथ ही हरियाणा इकाई ने उम्मीदवारों के चयन के सभी अधिकार पार्टी अध्यक्ष सुखबीर को सौंप दिए। सुखबीर ने हरियाणा के अकाली नेताओं से कहा कि हरियाणा में चुनाव लड़ने या न लड़ने तथा इनेलो से गठबंधन करने के मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श करके एक-दो दिन में निर्णय ले लिया जाएगा और निर्णय लेते समय हरियाणा के पार्टी नेताओं की भावनाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा। इस अवसर पर सुखबीर ने डा. दलजीत सिंह चीमा को हरियाणा की समूची राजनीतिक गतिविधियों का बारीकी से आकलन करने को कहा ताकि वहां चुनाव लड़ने अथवा न लड़ने का निर्णय शीघ्र लिया जा सके।
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