
डबवाली,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)दलाईलामा की प्रस्तावित तवांग (अरुणाचल) यात्रा पर भारत पड़ोसी मुल्क चीन को कुछ सख्त जवाब दे सकता है। दलाईलामा व तिब्बत चीन की कमजोर नस है और भारत को इसे कूटनीतिक ढंग से दबाने का मौका मिल गया है। चीन ने हाल में जिस तरह के दुस्साहस किये है उसके मद्देनजर विदेश मंत्रालय के रणनीतिकार इस मौके पर चीन का पेंच कुछ कसना चाहते हैं। दलाईलामा की नवंबर में प्रस्तावित अरुणाचल यात्रा पर जिस तरह की प्रतिक्रिया बीजिंग से आई है, उसे देखकर विदेश मंत्रालय ने चीन को कूटनीतिक जवाब देने की तैयारी शुरू हो गई है। बात आगे बढ़ी तो भारतीय कूटनीतिकार बीजिंग को कड़ा संदेश देने से नहीं चूकेंगे। संकेत हैं कि तल्ख अंदाज में एक पत्र तैयार भी किया जा रहा है, जिसके जरिए चीन के कम्युनिस्ट नेतृत्व के जेहन में यह बात उतारी जाएगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अखंड हिस्सा है और भारत वहां ऐसे किसी व्यक्ति को भेज सकता है जिसे वह अपना मित्र समझता है। भारत को भरोसा है कि बौद्ध धर्मगुरु को लेकर विवाद बढ़ा तो विश्व समुदाय के बीच चीन खुद को असहज पाएगा। तिब्बत में चीनी सेना के उत्पात के मद्देनजर अमेरिकी चेतावनियां बीजिंग भूला नहीं होगा। वैसे तो चीन के साथ भारत फिलहाल कोई तनाव नहीं बढ़ाना चाहता, लेकिन अंदरखाने कोशिश यह भी है कि दुनिया के मंच पर बीजिंग को कुछ कूटनीतिक झटके दिए जाएं। दलाईलामा की यात्रा पर पहले से लाल पीला होकर चीन यह मौका भी दे रहा है। चीन जब कभी भारत की सीमा पर हरकतें बढ़ाता है तो तिब्बत और ताइवान ही उसकी दुखती रग बनते हैं। चीनी घुसपैठ की हरकतों के चंद रोज बाद ही तिब्बत के धर्मगुरु दलाईलामा के प्रस्तावित अरुणाचल यात्रा का मुद्दा बीजिंग को छकाने के लिए तैयार है। यात्रा नवंबर में है पर चीन अभी से ही भड़क रहा है।
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