सिरसा, 27 अक्टूबर। नागरिक परिषद सिरसा ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि सिरसा, फतेहाबाद व हिसार जिलों के शैक्षणिक महाविद्यालयों को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय से जोड़ा जाए। इसके लिए परिषद के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज प्रधान जगदीश चौपड़ा के नेतृत्व में उपायुक्त सीजी रजिनीकांथन को एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मंडल में सुरेंद्र भाटिया, भूपेंद्र धर्माणी, एलडी मेहता, हेतराम, सीआर कसवां, अरुण मेहता, डा. आरएस सांगवान, डा. वेद बैनीवाल, रमेश मेहता, आनंद बियानी, रमेश गोयल, प्रवीण बागला, राजेंद्र बजाज, राय सिंह, रविंद्र मोंगा, सतीश गुप्ता, सुशील मानव सहित अन्य शामिल थे। ज्ञापन में कहा गया है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत चौ. देवीलाल क्षेत्रीय केंद्र को पदोन्न्त कर दिनांक 6 अप्रैल 2003 को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। शैक्षणिक रूप से सिरसा जैसे अत्यंत पिछड़े क्षेत्र के निवासियों की वर्षों से लंबित मांग इस विश्वविद्यालय के रूप में साकार हुई थी। सिरसा के निवासी इस विश्वविद्यालय को सफल एवं फलीभूत रूप में ही देखना नहीं चाहते बल्कि इसे अंतर राष्ट्रीय स्तर के सर्वोच्च एवं सर्वोत्तम मापदंडों के विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करवाने के भागीरथ प्रयास में जुटे हैं। चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के 6 अप्रैल 2003 में अस्तित्व में आने से आज तक लगभग साढ़े सात वर्षों की समयावधि में विश्वविद्यालय में समुचित भवन, स्टाफ एवं मूलभूत सरंचना स्थापित हो चुकी है। अत: हम पुरजोर मांग करते हैं कि जिला सिरसा, फतेहाबाद एवं हिसार के शैक्षणिक महाविद्यालयों को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाए ताकि इन जिलों के विद्यार्थियों को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के अत्यंत दूरगामी स्थान की बजाए चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के समीपवर्ती स्थान पर ही समस्त अपेक्षित सुविधाएं मिल सकें। चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय में वर्तमान में शैक्षणिक स्टाफ के आचार्य (प्रोफेसर) 16, उपाचार्य (रीडर) 32 एवं प्रवक्ता (लेक्चरार) 64 स्वीकृत पद हैं जबकि विश्वविद्यालय के सुचारू संचालन के लिए उपरोक्त पदों के अतिरिक्त आचार्य (प्रोफेसर) 32, उपाचार्य (रीडर) 64 एवं प्रवक्ता (लैक्चरार) के 128 पदों की आवश्यकता है। इसलिए उपरोक्त अपेक्षित एवं आवश्यक पदों की स्वीकृति प्रदान की जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय की स्थापना के समय सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को 348 एकड़ भूमि प्रदान करने की प्रस्तावना थी जबकि विश्वविद्यालय को लगभग 213 एकड़ भूमि ही प्रदान की गई। इस 213 एकड़ भूमि में से भी 57 एकड़ भूमि विवादित है जिससे संबंधित विवाद लंबे समय से विभिन्न न्यायालयों में लंबित है, जिनकी निकट भविष्य में निदान की संभावना नजर नहीं आती। इसलिए विश्वविद्यालय को शेष 135 एकड़ भूमि दिलाई जाए। इसी प्रकार नागरिक परिषद ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री से विश्वविद्यालय को 25 करोड़ रुपए की राशि जारी करने, केंद्रीय कम्प्यूटर केंद्र, आईटी व प्रबंधन के लिए शैक्षणिक ब्लाक भवन, लड़के-लड़कियों के छात्रावास, स्टेडियम, सीमान्त दीवार एवं शिक्षक क्लब का निर्माण, प्रकाश व्यवस्था, भू चित्र दर्शन, उद्यान, विद्युत उप केंद्र, जनरेटर, पुष्पवाटिका आदि का विकास भी करवाने की मांग की गई है।
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