डबवाली -प्रसिद्ध हिंदी-पंजाबी फिल्म निर्माता-निर्देशक और नावलकार बूटा सिंह शा
द का कहना है कि कला के किसी भी माध्यम को अपनाने वाले कलाकार को समाज के हर दु:ख दर्द का आईना बनना चाहिए,ताकि इन दुखों के कारन जान कर उनका निवारण किया जा सके। वे आज स्थानीय जाट धर्मशाला में पंजाबी सत्कार सभा द्वारा आयोजित उन पर करवाए गये रु- ब-रु कार्यकम में बोल रहे थे। कवि हरभजन सिंह रेणु की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा की उन्हें उनकी फिल्मो के श्रोताओं का और लेखक के रूप में पाठकों का अथाह प्यार मिला है और यही उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान हैं। सत्तर के दशक में पंजाबी फिल्म कुल्ली यार दी के निर्माण से अपना फि़ल्मी कैरिअर शुरू करने वाले बूटा सिंह शाद ने इस कार्यक्रम में आये श्रोताओं को बताया कि हालाँकि उनका जन्म बठिंडा जिला के गाँव दान सिंह वाला में हुआ है लेकिन उनके परिवार ने पचास के दशक में सिरसा जिला के कुम्थला गाँव में जमीन खरीदी थी तभी से इस धरती से उनका गहरा नाता जुड़ गया। उन्होंने कहा कि लिखने का शौक उन्हें अपने लड़कपन से ही पैदा हो गया था और उनकी पहली कहानी उस समय की प्रसिद्ध साहित्यक पत्रिका आरसी में छपी थी। इसके बाद शुरू हुआ लिखने का यह सिलसिला निरंतर चलता गया। इस क्रम में उनकी कहानियों की चार किताबें प्रकशित हुई और अब तक उनके 25 नावल प्रकाशित चुके हैं और उनका एक नावल रंग तमाशे प्रकाशन के लिए त्यार है.अपने नावल कुत्त्याँ वाले सरदार से प्रसिद्धि के शीर्ष पर पहुँचने वाले बूटा सिंह शाद ने पंजाबी सिनेमा जगत को मित्तर प्यारे नूं ,सच्चा मेरा रूप,धरती साडी माँ,गीद्धा,सैदा जोगन और खालसा मेरा रूप है जैसी फि़ल्में दीं हैं। उन्होंने ने बतोर निर्माता हिंदी की कई व्यावसायिक फिल्मो का निर्माण भी किया है जिनमें निशान,हिम्मत और मेहनत,स्मगलर और पहला पहला प्यार उल्लेखनीय हैं। उन्होंने अपने चालीस साल के फि़ल्मी जीवन के प्रति संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि बेहद सीमित साधनों के बावजूद मुंबई में उनके सभी सपने सच हुए तो इसका कारन उनका जनून ही था जिसने किसी भी अड़चन को उनका रास्ता नही रोकने दिया। उन्होंने कहा कि समय के अनुशासन ने भी उनकी राह को आसान बना दिया. इस कार्यक्रम में श्रोताओं ने अपनी ओर से कई सवाल श्री शाद से पूछे जिनके बहुत सहजता से उन्होंने जवाब दिए। इस अवसर पर पंजाबी सत्कार सभा के पदाधिकारियों ने श्री शाद को स्मृति चिन्ह देकर ओर शाल ओढा कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन पंजाबी सत्कार सभा के प्रधान प्रदीप सचदेवा ने किया जबकि समापन पर महासचिव भूपिंदर पन्निवालिया ने बूटा सिंह शाद ओर श्रोताओ के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सभा के उप प्रधान सुखदेव ढिल्लों,कोषाध्यक्ष प्रभु दयाल,सुतंतर भारती,लाज पुष्प, राजिंदर सिंह बराड़,कर्मजीत सिंह सिरसा,बीर दविंदर सिंह,धर्म सिंह,रुस्तम सैनी,महेंद्र घनघस सहित अनेक पंजाबी प्रेमी उपस्तिथ थे.

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