डबवाली-एक मुसलमान ने हिन्दू को मरणोपरांत अग्नि देकर हिन्दू-मुसलमान के बीच फूट डालने वालों को करारा जवाब दिया है। यह मिसाल कहीं ओर नहीं बल्कि मण्डी किलियांवाली में कायम हुई। हिन्दू बहुल क्षेत्र होने के बावजूद भी एक हिन्दू साधु को मुसलमान ने केवल कंधा ही नहीं दिया, बल्कि डबवाली के रामबाग में उसके मृतक शरीर को अग्नि देकर उसे पंचतत्वों में
विलीन भी किया।
धर्म के नाम पर लड़ाई-झगड़े तो अक्सर होते रहते हैं। लेकिन धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत के लिए काम करने वाली मिसालें अक्सर कम ही मिलती हैं। अलग-अलग धर्मों के होने के बावजूद भी एक मुसलमान मुन्ना ने एक हिन्दू साधु राजेंद्र शुक्ला को पहले शरण दी और मृत्यु हो जाने पर उसे कंधा दिया। मूल रूप से कानपुर निवासी राजेंद्र कुमार शुक्ला पुत्र गंगा नारायण शुक्ला साधु वेष में काफी समय से मालवा बाईपास पर घूम रहा था। करीब डेढ़ साल पूर्व उसका संपर्क मालवा बाईपास पर सर्विस स्टेशन चलाने वाले मुन्ना से हुआ। मुन्ना मुसलमान है, लेकिन इसके बावजूद उसने हिन्दू साधु को अपने सर्विस स्टेशन पर जगह दी। मुन्ना हर रोज की तरह शाम को अपना सर्विस स्टेशन बंद करके घर जाता और राजेंद्र शुक्ला वहीं सर्विस स्टेशन के आगे चारपाई पर लेटकर रात बिताता।
मंगलवार को भी प्रतिदिन की तरह मुन्ना सर्विस स्टेशन बंद करके घर चला गया। बुधवार सुबह करीब 8 बजे वह सर्विस स्टेशन पर आया। चारपाई पर लेटे राजेंद्र को आवाज लगाई। उसने कोई जवाब नहीं दिया। राजेंद्र के ओढ़े कंबल को हटाया तो देखा कि वह खून से लथपथ मृत पड़ा था। किलियांवाली पुलिस ने मुन्ना की शिकायत पर मौका पर पहुंचकर राजेंद्र के शव को कब्जे में लिया। मलोट से पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव को मुन्ना को सौंप दिया। लेकिन मुन्ना की आर्थिक हालत दयनीय होने के कारण शव का संस्कार करने के लिए मुन्ना को डबवाली जन सहारा सेवा संस्था के अध्यक्ष आरके नीना ने सहयोग दिया।
हिन्दू संस्कार के अनुसार मुन्ना ने मुसलमान होते हुए भी डबवाली के रामबाग में बुधवार देर शाम को मुखाग्नि देकर राजेंद्र शुक्ला के शरीर को पंचभूतों में समाहित कर दिया। मण्डी किलियांवाली में रहने वाले मुन्ना ने बताया कि उसने शुक्ला के परिवार से कानपुर संपर्क किया। उसके परिजनों से अनुमति मिलने के बाद ही शुक्ला के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी।
कौन था राजेंद्र शुक्ला
कानपुर में कपड़ा के बिजनेस मैन संजय शुक्ला के अनुसार राजेंद्र शुक्ला उसका चाचा था। जोकि हिन्दुस्तानी फौज के असला खाना में बतौर बाबू तैनात था। किसी कारणवश असला खाना की नौकरी छोड़कर उसका चाचा बाबू से साधु बन गया। पिछले करीब सात सालों से वह साधु के रूप में घर से चला गया था। राजेंद्र शुक्ला की बीवी पुष्पा देवी, दो बच्चे कमल शुक्ला तथा लड़की बबली शुक्ला हैं। दोनों विवाहिता हैं। कमल आर्मी में है। संजय के अनुसार वे जल्द डबवाली आएंगे और राजेंद्र शुक्ला की अस्थियां कानपुर लेजाकर, अन्य संस्कार वहीं करेंगे। संजय के मुताबिक मुन्ना ने मुसलमान होते हुए भी उसके चाचा के शव को कंधा दिया और मुखाग्नि दी। इससे बढ़कर इंसानियत का उदाहरण कहीं और नहीं मिल सकता।
Yeh un katarpanthion ke muh par ek karara tamacha hai jo dharam ke naam par aam jan ke khun se holi khelte hai or apni rotian sekte hai. Munna sahib ko mera hardik salam
जवाब देंहटाएंthats news make a legend news of haryana
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