डबवाली (यंग फ्लेम) क्या गोपाल कांडा मुख्यमंत्री से नाराज हैं ? यदि नहीं तो अपनी सरकारी गाड़ी और सिक्योरिटी छोड़ कर कहा गए हैं गोपाल कांडा ? इसका जवाब जनता को कौन देगा ? हरियाणा सरकार पर आजकल राहू की क्रूर दृष्टि तो नहीं चल रही। एक सप्ताह में ही जहाँ हरियाणा के परिवहन और पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश जैन और मुख्य संसदीय सचिव जिले राम शर्मा को हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा के कड़े तेवरों से पद से त्याग पत्र देना पड़ा और वही सिरसा रैली में
अनबन हो जाने के बाद हरियाणा के गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा रविवार को दोपहर अपनी सरकारी गाड़ी में सरकार द्वारा दी गई सुरक्षा गारद के साथ हिसार के लोक निर्माण विश्राम गृह में आये। करीबन पौने घंटे बाद फतेहाबाद के विधायक और प्रदेश के चीफ पार्लियामेंट सेक्टरी प्रह्लाद सिंह गिलखेडा भी हिसार के इसी विश्राम गृह में पहुंचे। दोनों में क्या बात हुई इसका ब्यौरा नहीं मिल पाया है। मगर कुछ मिनट बाद ही गिलखेडा गोपाल कांडा से बात करके चलते बने। यह सभी निर्दलीय विधायक बताय जाते हैं । मिली जानकारी अनुसार ठीक दस मिनट बाद एक इनोवा गाड़ी आई और हरियाणा के गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा उसमे बैठ कर कहीं चले गए। वे राज्य सरकार की और से दी गई अपनी सरकारी गाड़ी और सिक्योरिटी को हिसार के लोक निर्माण विश्राम गृह में ही छोड़ गए। जब इस बात की भनक जब पत्रकारों को लगी तो उन्होंने कांडा के साथ कार के ड्राइवर और उनके सुरक्षा कर्मियों से इसका करण पूछा तो उन्होंने इस बारे कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। मिली जानकारी के अनुसार गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा की सरकारी गाड़ी और सुरक्षाकर्मी रात तक भी उनके इन्तजार में हिसार के लोक निर्माण विश्राम गृह में ही उनका इंतजार कर रहे थे। वही दबी जुबान में राजनितिक कयास लगाये जा रहे हैं कि शनिवार को हुई कांग्रेस की सिरसा रैली में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने मंत्री को मंच से कुछ कहा दिया था। जिस कारण नाराजगी के चलते मंत्री द्वारा उठाया गया यह कदम भी हो सकता है। यह भी कयास का दौर चल रहा है कि कहीं कांडा के साथ विरोध में फतेहबाद के विधायक और मुख्य संसदीय सचिव प्रह्लाद सिंह गिलखेडा भी शामिल तो नहीं हैं ? सियासत की जानकारी रखने वालो का कहना है कि कहीं अपने ऊपर संकट के मंडरा रहे बादलों को देख कर अन्दर खाने निर्दलीय विधायक हरियाणा के मुख्यमंत्री के तीखे तेवरों से नाराज होकर तो यह कदम नहीं उठा रहे या फिर वे उनपर कोई सियासी दबाव बनाने में लगे हैं। कहा जा रहा है कि निर्दलीय विधायक यदि इसी तरह अपनी नाराजगी प्रगट करते रहे तो एक दिन हरियाणा कि सियासत में तूफान आ सकता है। अब देखना होगा कि राजनीती का ऊँठ किस करवट बैठता है। वैसे भी हरियाणा 'आया राम गया रामÓ की सियासत के लिए मशहुर माना जाता है और वही इनेलो ने भी पिछले एक सप्ताह से राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। कयास लगाये जा रहे हैं कि कहीं यह उसी सियासत का कोई राजनितिक ड्रामा तो नहीं है। यदि हरियाणा के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय नेताओं ने निर्दलीय विधायको को मनाने के प्रयास तेज न किये वे दिन दूर नहीं जब यही विधायक कोई सियासी तूफ़ान खड़ा कर सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें