डबवाली- नए भूमि अधिग्रहण का मसौदा केबीनेट में पास हो जाने से डबवाली में हुड्डा सैक्टर हेतु जमीन अधिग्रहण पर सवालिया निशान लग गया है।
देशभर में जमीन अधिग्रहण को लेकर विभिन्न स्तरों पर हो रहे विरोध के चलते केंद्र सरकार पर विगत लंबे समय से भूमि अधिग्रहण कानून 1894 को बदलने हेतु दबाव पड़ रहा था। जमीनों के दामों में भारी उछाल के चलते भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों का फायदा उठाते हुए भू-माफिया राजनीतिक गठजोड़ के चलते उपजाऊ जमीनों को ओने-पौने दामों पर हड़पने में लगा हुआ था। इन हालातों में विभिन्न उच्च न्यायलयों एवं उच्चतम न्यायलय में भारी संख्या में यचिकाएं दाखिल हो रही थी तथा अधिकांश फैंसले भी भू-मालिकों के पक्ष में आ रहे थे। अब केंद्र सरकार ने अखिरकार किसानों की सुध लेते हुए अधिग्रहण कानून में आमूल-चूल परिवर्तन ही कर दिया है। नया सम्मावित कानून जिसके जल्द ही संसद द्वारा पारित हो जाने की संभावना है में सब से अहम बात यह है कि 80 प्रतिशत भूमि मालिकों की सहमति से ही भूमि ली जाएगी तथा ग्रामीण क्षेत्र में कलेक्टर रेट से 4 गुणा व शहरी क्षेत्र में 2 गुणा मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही 2 हजार मासिक 20 वर्ष तक प्रति एकड़ मुआवजा मिलेगा। मौजूदा समय में जिस स्कीम का कब्जा नहीं लिया जा सका है या मुआवजा वितरित नहीं किया गया है उन पर नया कानून लागू होगा। डबवाली में हुड्डा आवासीय सैक्टर के निर्माण हेतु लगभग 200 एकड़ भूमि की अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है तथा अधिकांश भूमि मालिक इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे है। नया सम्मावित कानून इन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होने जा रहा है। क्योंकि शहरी आबादी के साथ होने से बेहद महंगी जमीन हुड्डा द्वारा बहुत ही कम कीमत पर ली जा रही थी। जीटी रोड पर लगते भूमि मालिकों को तो इस अधिग्रहण से बेहद नुकसान हो रहा था हुड्डा अगर 80 प्रतिशत मालिकों को खुश करके व उनकी मर्जी मुताबिक कीमत अदा करके सैक्टर विकसित करता है t सैक्टर के प्लाटों की कीमत कई गुणा बढ़ जाएगी अन्यथा हुड्डा को स्कीम पर पूर्नविचार करना पड़ेगा। इन हालातों में शहर में आवासीय प्लाटों में तेजी आने की संभवानाएं बढ़ गई है।
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