
डेरा सच्चा सौदा किसी दल का पिछलग्गू बनने के बजाए खुद राजनीतिक ताकत हासिल करना चाहता है। इसीलिए उसने हरियाणा विस चुनाव में कांग्रेस से गठजोड़ कर मैदान में उतरने की सोची और 30 सीटें मांगी। वहां से मना हो जाने पर डेरा की राजनीतिक विंग सोमवार को टोहना में बैठक करने जा रही है, जिसमें नई रणनीति तय की जाएगी। डेरा प्रेमी अगर सीधे राजनीति करते हैं तो प्रदेश में राजनीति समीकरण बदलना तय है। अभी तक डेरा समर्थक चुनाव में उतरने के बजाए किसी ना किसी दल को समर्थन देते रहे हैं, लेकिन इस बार संगत ने खुद मैदान में उतरने का फैसला किया और कांग्रेस से 30 सीटें मांगी। कांग्रेस ने आतंरिक कलह और टिकट को लेकर मची मारामारी के कारण संगत से गठजोड़ से इनकार कर दिया। 18 सितंबर से नामांकन शुरू हो चुका है पर कांग्रेस एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। इसी के मद्देनजर डेरे की राजनीतिक विंग ने सोमवार को बैठक बुलाई गई है। विंग के सदस्य चांदी राम ने बताया कि सरकार में उनके काम नहीं हो रहे। इसलिए साधु संगत खुद राजनीति में हिस्सेदारी मांग रही है। संगत समर्थक लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हैं पर उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिली। इसलिए चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा, बदले राजनीतिक हालात का जायजा लेने के लिए विंग बैठक करने जा रहा है। बेशक डेरा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम की ओर से कभी किसी दल के पक्ष में कोई फतवा जारी नहीं किया गया लेकिन संगत बीते एक दशक से पंजाब और हरियाणा की राजनीति में अपना असर दिखाती रही है। सभी दलों के नेता डेरा प्रमुख से आशीर्वाद लेने आते हैं।
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