

हरियाणा की राजनीति में अभी भी परिवारवाद का बोलबाला कायम है। पिछले सालों की अपेक्षा इस बार राजनीति में परिवारवाद कम तो हुआ है, मगर यह पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है। सगे-संबंधियों के थोक के भाव टिकट काटे जाने के बावजूद कांग्रेस में नेताओं के रिश्तेदारों को सबसे अधिक टिकट मिले हैं। भाजपा और हजकां ने नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने में कंजूसी बरती है। बसपा और इनेलो ने कांग्रेस से कम और भाजपा व हजकां से अधिक नेताओं के रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस में करीब दो दर्जन दिग्गजों ने अपने पारिवारिक सदस्यों के लिए हाईकमान से टिकट मांगे थे। यह नेता अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए लंबे अरसे तक दिल्ली में डटे रहे, लेकिन कांग्रेस ने जिताऊ और राजनीति में स्थापित उम्मीदवारों को ही टिकट दिए हैं। बिजली मंत्री रणदीप सुरजेवाला, पर्यटन मंत्री किरण चौधरी और कांग्रेस के प्रांतीय कार्यकारी प्रधान कुलदीप शर्मा भी हालांकि कांग्रेस में परिवारवाद की राजनीति के मजबूत उदाहरण हैं, लेकिन इन दिग्गजों को प्रदेश में राजनीति करते हुए लंबा अरसा हो गया है। यह दिग्गज न केवल कांग्रेस की राजनीति में रम चुके हैं बल्कि जनता के बीच प्रतिष्ठापित भी हो गए हैं। विधानसभा चुनाव में रणदीप, किरण और कुलदीप तीनों किस्मत आजमा रहे हैं। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई और इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अजय चौटाला प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से छाए हुए हैं। चौटाला और बिश्नोई दोनों विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यह दोनों किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन दोनों की पृष्ठभूमि परिवारवाद की राजनीति से जुड़ी है। दिग्गजों की खुद की पारिवारिक पृष्ठभूमि को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो कई ऐसे नेताओं को चुनाव लड़वाया जा रहा है, जिनकी कोई न कोई पारिवारिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है। कांग्रेस ने टोहाना से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स. हरपाल सिंह के पुत्र परमवीर सिंह को टिकट दिया है। पर्यटन मंत्री किरण चौधरी के ननदोई सोमवीर सिंह को लोहारू से चुनाव लड़वाया जा रहा है। बहादुरगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र जून के पिता विधायक रह चुके हैं। कोसली के कांग्रेस उम्मीदवार यादवेंद्र सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पूर्व मंत्री खुर्शीद अहमद के पुत्र आफताब अहमद को कांग्रेस ने नुहूं से टिकट थमाया है। पूर्व सांसद रिजक राम के पुत्र जयतीर्थ दहिया को राई और निवर्तमान विधायक बलबीर पाल शाह को पानीपत शहर से टिकट दिया गया है। बलबीर पाल हालांकि निवर्तमान विधायक हैं और अपने बूते अलग पहचान बनाई है, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि परिवारवाद की राजनीति से मेल खाती है। भाजपा ने पूर्व मंत्री जोगेंद्र जोग के पुत्र जितेंद्र जोग को बरवाला से चुनाव लड़वाया है। भाजपा, बसपा, हजकां और इनेलो की सूची में ज्यादातर चेहरे नए हैं। कांग्रेस को छोड़कर इन चारों पार्टियों ने हालांकि पुराने मोहरों पर भी दांव खेला है, मगर ज्यादातर नए उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का मौका प्रदान किया है। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई ने अपनी मां जसमा देवी को नलवा से टिकट दिया है। पूर्व सांसद जंगबीर सिंह के पुत्र कमल सिंह को तोशाम से चुनाव लड़वाया जा रहा है। हजकां ने करीब आधा दर्जन पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों पर भी दांव खेला है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने पूर्व मंत्री रिसाल सिंह के पुत्र राजबीर सिंह को मुलाना से टिकट थमाया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर कादियान की धर्मपत्नी बिमला कादियान को पानीपत ग्रामीण से चुनाव लड़वाया जा रहा है। जुलाना से पूर्व मंत्री विधायक के पुत्र परमिंदर ढुल को टिकट दिया गया है। बहुजन समाज पार्टी ने हालांकि ज्यादातर नए चेहरे चुनाव मैदान में उतारे हैं, मगर इस दल में भी परिवारवाद की राजनीति के लक्षण दिखाई पड़े हैं। बसपा सुप्रीमो मान सिंह मनहेड़ा खुद व परिवार के किसी सदस्य के चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं, मगर पूर्व मंत्री कंवरपाल के पुत्र अनिल राणा को असंध से चुनाव लड़वाया जा रहा है। पूर्व चेयरमैन चौ. देवी सिंह के पुत्र हरविंद्र कल्याण को घरौंडा से टिकट दिया गया है जबकि पूर्व मंत्री के पुत्र रवि चौधरी को साढौरा के चुनावी अखाड़े में उतारा गया है।
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