
हरियाणा में कांग्रेस भले ही बहुमत से कुछ पीछे रह गई हो, लेकिन पार्टी के कई नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे निकलने कोशिश में जुट गए हैं। चुनाव नतीजों की घोषणा के साथ ही गुरुवार शाम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और किरण चौधरी ने अपने-अपने तर्को के साथ पार्टी हाईकमान के यहां हाजिरी लगाई। राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन का ठीकरा केंद्रीय नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व के सिर फोड़ा है। इसके लिए उसके अति उत्साह को जिम्मेदार बताया गया है। कांग्रेस को उम्मीद से कमजोर चुनाव नतीजों के चलते जहां निर्दलीय व दूसरी पार्टी के समर्थन की तलब है, वहीं उसे हुड्डा के नाम पर सहमति न बनने की भी आशंका है। खासकर हजकां से समर्थन की नौबत आने पर। केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और बंसीलाल की बहू किरण चौधरी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। सोनिया गांधी से मुलाकात करने गए भूपेंद्र सिंह हुड्डा जब10 जनपथ से बाहर निकले, ठीक उसी समय सैलजा सोनिया से मिलने गईं। उसके थोड़ी देर बाद किरण चौधरी भी पहुंच गईं। पार्टी महासचिव बीके हरिप्रसाद ने राज्य में वहां के नेतृत्व के अति उत्साह को कोसा। उनका कहना है कि हरियाणा के चुनाव नतीजे पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते। हरिप्रसाद ने कहा कि निर्दलीय व हजकां जैसी पार्टियों के पास समर्थन के लिए जाना ही पड़ेगा। ऐसे में उनकी ओर से आई शर्त को नजरअंदाज करना भी संभव नहीं होगा। लोकसभा चुनाव में 10 में नौ सीटें जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने समय से छह महीने पहले चुनाव कराने के प्रस्ताव पर पार्टी हाईकमान से मुहर लगवा ली। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार के तौर तरीके की पूरी छूट हुड्डा को मिली थी। चुनाव की कमान भी उनके हाथ में ही थी। प्रदेश कांग्रेस के दूसरे धड़े के नेताओं को नजरअंदाज किया गया। यही वजह थी कि पूरे चुनाव के दौरान ये नेता खिंचे-खिंचे रहे। जाहिर तौर पर अब हुड्डा चौतरफा निशाने पर हैं। प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं में चौधरी विरेंद्र सिंह चुनाव हार गए हैं, जो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में सबसे आगे थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें