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शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2009
कलह से पस्त भाजपा और फिसली
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा में अब नेतृत्व को लेकर अंदरूनी संघर्ष गहराने के आसार बढ़ने लगे हैं। निराशा से हताशा की ओर बढ़ रही भाजपा मानने लगी है कि संघर्ष न थमा तो स्थिति गंभीर हो सकती है। दरअसल भाजपा में जल्द ही संगठन चुनाव होने हैं, वहीं कुछ ही दिनों में झारखंड का चुनावी शंखनाद भी होने वाला है। ऐसे में संघ का असर और बढ़े तो आश्चर्य नहीं। गुरुवार को हार स्वीकारते हुए पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने साफ संकेत दिये कि हार के पीछे बड़ा कारण अंदरूनी कलह है। उन्होंने कहा, हमें कार्यकर्ताओं और समर्थकों के सामने एक सुर और स्वर में बात करनी चाहिए। तीन राज्यों मंें हार के बाद भाजपा के लिए चुनौती बढ़ गई है। महाराष्ट्र में जहां चुनाव के समय दूसरे मुद्दों के साथ-साथ नेताओं का भी संघर्ष दिखा, वहीं नतीजों के बाद गोपीनाथ मुंडे ने राष्ट्रीय नेतृत्व में युवाओं को लाने की बात कहकर संकेत दे दिया है कि संगठन चुनाव बहुत आसान नहीं होगा। कई राज्यों में भी संगठन चुनाव होने हैं। हरियाणा में पार्टी को कुछ उत्साहजनक नतीजे तो मिले हैं, लेकिन यह बहस भी छिड़ गई है कि वहां अकेले उतरने का फैसला कितना सही था। दबे छुपे इसके पीछे आपसी संघर्ष की बात सामने आने लगी है।
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