

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदाता ने किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं दिया, सभी को सत्ता के चौराहे पर छोड़ दिया है। सरकार बनाने के लिए आवश्यक जादुई आंकड़े 45 सीटों के करीब कोई भी दल नहीं पहुंच पाया। कांग्रेस में जीत का इतना जोश था कि चुनाव छह महीने पहले करवा दिए पर उसे केवल 40 सीटें ही मिलीं जबकि साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दूसरी तरफ, 2005 में केवल 9 सीटें जीतने वाली इनेलो ने 31 सीटें जीतीं। साथ ही उसके सहयोगी अकाली दल ने भी एक सीट जीत ली। इनेलो को इस चुनाव में जबरदस्त बढ़त मिली है। बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज करवाई है जबकि साल 2005 के चुनाव में केवल 2 ही सीटें बीजेपी ने जीती थी। हजकां को मतदाता ने छह सीटों पर ही जितवाया है। बेशक हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई सरकार बनाने का दावा कर रहे थे। पिछले कई चुनावों की तरह बीएसपी को इस बार भी केवल एक ही सीट पर जीत हासिल हुई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला सीट पर सबसे अधिक अंतर 72100 वोटों जीते जबकि हजकां प्रत्याशी सतपाल सांगवान दादरी सीट पर सबसे कम अंतर केवल 145 वोटों से जीते हैं। टाप पांच सीटें कांग्रेस के हिस्से में ही आई हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद, किरण चौधरी, विनोद शर्मा, शकुंतला खटक व गीता मातेनहेल का नंबर आता है। रेवाड़ी से लगातार छठी बार जीतकर कैप्टन अजय यादव ने रिकार्ड बनाया है। विभिन्न दलों से कांग्रेस में आए लोगों को मतदाताओं ने पसंद नहीं किया। इनेलो छोड़कर कांग्रेस की टिकट पर संपत सिंह विजयी हुए हैं। संपत सिंह ने हजकां प्रत्याशी जसमा देवी को हराया है जो पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की धर्मपत्नी हैं। प्रदेश की 17 आरक्षित सीटों में से इनेलो को 10 और कांग्रेस को 7 सीटें जीती हैं। इस बार केवल 9 महिलाएं विजयी हुई जबकि साल 2005 के चुनाव में 11 महिलाएं विधायक बनी थीं।
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