
श्रीनगर( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
केंद्र सरकार ने कहा है कि कश्मीर मसले के राजनीतिक हल के लिए अलगाववादियों समेत सभी विचारधारा के लोगों से बात की जाएगी, लेकिन बिना शोरगुल के। अबकी बातचीत जुबानी कवायद नहीं होगी। गृहमंत्री पी.चिंदबरम ने बुधवार को अखिल भारतीय एडिटर्स कांफ्रेंस के दौरान संपादकों और पत्रकारों से बातचीत में कहा, कश्मीर में राजनीतिक समस्या है। इसका समाधान निकालना होगा। प्रधानमंत्री इस संबंध में सरकार की नीतियों को कई बार स्पष्ट कर चुके हैं। चिदंबरम ने कहा,वार्ता से न तो हम डरते हैं, ना ही हिचकते हैं। राजनीतिक विचारधारा वाले सभी वर्गो से बातचीत की जाएगी। यहां कांग्रेस,पीडीपी, नेकां जैसी पार्टियां हैं जिनकी सोच अलग अलग है। कुछ दल अलगाववाद की वकालत भी करते हैं। हम सभी से वार्ता को तैयार हैं। गृहमंत्री ने प्रस्तावित वार्ता के स्वरूप के बारे में कुछ बताने से इनकार करते हुए कहा कि मीडिया की चकाचौंध में वार्ता नहीं महज प्रदर्शन हो सकता है। वार्ता पूरी खामोशी के साथ होगी। एक शख्स की एक से। दो लोगों की दो लोगों से। खामोशी की इस कूटनीति पर केंद्र सरकार तब तक बात आगे बढ़ती रहेगी,जब तक कोई राजनीतिक समाधान नहीं निकल आता। और, एक बार जब राजनीतिक समाधान निकल आएगा, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। कश्मीर समस्या का समाधान भी अपने आप में अलग होगा क्योंकि यहां का इतिहास और भौगोलिक स्वरूप भी औरों से अलग है। इस बात का विशेष ख्याल रखना होगा कि जो समाधान निकले,वह बहुसंख्यक समाज को स्वीकार्य हो। अन्य क्षेत्रों का फार्मूला यहां लागू नहीं किया जा सकता। चिंदबरम ने इस बात का कोई उत्तर नहीं दिया कि क्या सरकार ने वार्ता के लिए हुर्रियत को आमंत्रित किया गया है। गृहमंत्री ने कहा,जम्मू-कश्मीर के हालात में उल्लेखनीय सुधार आया है। गत छह माह के दौरान हिंसक घटनाओं में आई कमी इसकी गवाही है। गत आठ-नौ सालों के मुकाबले हिंसा में कमी आई है। चिदंबरम ने हालांकि सीमा पार से घुसपैठ हो रही है। पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में युवकों की भर्ती हो रही है, उनका बे्रनवाश कर उन्हें जिहाद के नाम पर यहां भेजा जा रहा है लेकिन सुरक्षाबल इन तथाकथित आतंकी कमांडरों को साल-छह महीने में मार गिराते हैं। सुरक्षाबल आतंकरोधी अभियानों और घुसपैठ को रोकने की अपनी कोशिशों में लगातार बेहतर हो रहे हैं।
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