
सिरसा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
एक जमाना था जब चुनाव नजदीक आते ही जहां हर तरफ रौनक दिखाई देती वहीं शहर चुनाव प्रचार सामग्री से रंगीन हो जाता था और महीनों तक टैक्सी स्टेडों पर गाड़ियां उपलब्ध नहीं होती थी। मगर चुनाव आयोग के डंडे के चलते अब न तो शहर में चुनावी चहल पहल नजर आ रही है और न ही टैक्सी स्टेडों पर गाड़ियों की मारामारी है। शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में यदि हम जाकर देखें तो चुनावों के दिन नहीं लगते। चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के नाम से जो उम्मीदवारों पर शिकंजा कसा है उसके चलते सभी उम्मीदवार अपनी चमड़ी बजाने की कोशिश में है। पहले जब चुनाव आते थे तो फ्लैक्स बोर्ड से शहर सज जाता था मगर अब चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित स्थान पर ही 10-15 होर्डिग लगे हुए है। फ्लैक्स बोर्ड बनाने वाले ओंकार एडवरजाइजर के संचालक कुलदीप सिंह से जब बातचीत की गई तो उसने बताया कि पूर्व के चुनाव में उन्हे एक महीने पूर्व ही इतना काम मिल जाता था कि चुनाव के दौरान उन्हे अतिरिक्त स्टाफ की व्यवस्था करनी पड़ती थी लेकिन अब चुनाव आयोग के डंडे के चलते उनका काम मात्र पांच-सात प्रतिशत ही शेष बचा है। उन्होंने बताया कि जो नियमित रूप से काम करने वाले लड़के भी फुर्सत में बैठे है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष दीपावली के पर्व पर उनका काम काफी बढ़ जाता है मगर इस बार हर कोई व्यवसायी अपने व्यवसाय को चुनावों के साथ जोड़ते हुए फ्लैक्स बोर्ड बनवाने में परहेज कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले तो नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ता भी अपने घरों पर व सार्वजनिक स्थानों पर फ्लैक्स बोर्ड लगवाते थे मगर उनका बोर्ड भी उम्मीदवार के खाते में गिने जाने के कारण कार्यकर्ताओं ने फ्लैक्स बोर्ड बनवाने बंद कर दिए है। इसके अलावा शहर स्थित साई फ्लैक्स, गणपति फ्लैक्स, सुरेद्रा फ्लैक्स, सिडाना फ्लैक्स व पंकज फ्लैक्स सभी का काम चुनाव प्रचार के चलते भी गर्मी नहीं पकड़ पाया है। इसी प्रकार सिरसा नगर के टाउन पार्क टैक्सी स्टेड, हाथी पार्क टैक्सी स्टेड, गुरु तेग बहादुर मार्केट टैक्सी स्टेड, डबवाली रोड स्थित टैक्सी स्टेड पर चुनाव प्रचार के चलते भी गाड़ियों की बुकिंग नहीं हो रही है। सिरसा के सभी टैक्सी स्टेडों पर चलने वाली लगभग 300 टैक्सियों में से करीब डेढ़ दर्जन टैक्सियां ही चुनाव प्रचार में लगी हुई है। टैक्सी ड्राइवर राजकुमार, मांगू राम, कृष्ण कुमार, ब्रह्मदास आदि ने बताया कि इस समय टैक्सी स्टेड से सूमो गाड़ी 800 रुपये, बुलेरो तथा स्कार्पियो 1100, जाइलो तथा इनोवा 1500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलती है लेकिन चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवारों द्वारा इस किराये पर 24 घंटे के लिए गाड़ी किराये पर बुक कराई जाती है। उन्होंने बताया कि वे अपनी गाड़ियों की दिहाड़ी 12 घंटे के हिसाब से गिनती है मगर उम्मीदवार उन्हे 24 घंटे के लिए एक दिहाड़ी देते है इसलिए वे चुनाव प्रचार में गाड़ियां लगाने के लिए खुश नहीं है। उनका कहना है कि कई दफा चुनाव हारने के बाद उम्मीदवार द्वारा उनकी दिहाड़ी देने पर भी आनाकानी की जाती है। उन्होंने बताया कि पहले चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवारों द्वारा एक माह पूर्व ही गाड़ियां बुक करने के लिए टैक्सी स्टेडों पर संपर्क किया जाता था मगर अब चुनाव आयोग द्वारा प्रचार के लिए टैक्सी लगाने के लिए मंजूरी लेने की प्रक्रिया के कारण उम्मीदवारों में भी गाड़ियां किराये पर लगाने के लिए उदासीनता बरती जा रही है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अधिकतर कार्यकर्ताओं के पास अपनी गाड़ियां है और वे अपने प्रत्याशी के प्रचार के लिए स्वयं की गाड़ी प्रयोग करते है इसलिए भी प्रचार के लिए किराये की गाड़ियों की जरूरत कम महसूस की जा रही है।
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