मास्को रवाना होने से पहले जारी एक बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे विश्वास है कि मेरा दौरा रूस के साथ सहयोग को मजबूत करने कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा और इस तथ्य को बल देगा कि बदलती अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी शांति और स्थिरता का एक कारक है।"
सिंह ने कहा, "दोनों देशों की साझेदारी लंबी मित्रता की मजबूत नींव पर आधारित है। वर्षो के संयुक्त प्रयासों से भारत और रूस के बीच के बहुक्षेत्रीय सहयोग में अधिक गहराई और परिपक्वता आई है। हम इसे और मजबूत करना चाहते हैं।"
प्रधानमंत्री रूसी राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव के आमंत्रण पर भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने रवाना हुए। इससे पहले प्रधानमंत्री ने इस साल जून में ब्रिक देशों (भारत, ब्राजील, रूस और चीन) और शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में मेदवेदेव से मिले थे। मेदवेदेव ने दिसंबर 2008 में भारत का दौरा किया था।
रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव के साथ वार्ता की कार्यसूची की रुपरेखा के बारे में जानकारी देते हुए सिंह ने कहा कि वह रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और हाइड्रोकार्बन सहित अन्य क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग की समीक्षा करेंगे।
मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं राष्ट्रपति के साथ आतंकवाद, वैश्विक मंदी की समाप्ति, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, परमाणु नि:शस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार जैसे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करुं गा।"
सोमवार को मनमोहन सिंह और मेदवेदेव की मुलाकात के बाद दोनों पक्षों के असैन्य परमाणु सहयोग के विस्तार के एक समझौते और तीन अन्य रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है।
मनमोहन सिंह रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। इसके अलावा सिंह भारत-रूस सीईओ परिषद की बैठक में पुतिन के साथ शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच शिक्षा, शोध, मीडिया और बौद्धिक हलकों सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता जताई।
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रविवार, 6 दिसंबर 2009
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