IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

Young Flame Headline Animator

शुक्रवार, 5 मार्च 2010

अर्दली रखने पर अड़ी सरकार-सेना

नई दिल्ली फौज में अफसरों के साथ सहायक रखने की परंपरा खत्म करने का मन न तो सेना बना पा रही है और न सरकार। अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा को बंद करने को लेकर रक्षा मंत्रालय ने संसदीय समिति की सिफारिशें मानने से भी इनकार कर दिया है। गुलामी की प्रतीक इस व्यवस्था के बचाव में सरकार का कहना है कि सहायकों की तैनाती किसी हीन-भावना वाले काम में नहीं की जाती। इतना ही नहीं रक्षा मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के आगे रक्षा मंत्रालय ने पेश अपनी सफाई में इस बात पर भी जोर दिया है कि सहायक के तौर पर तैनात जवान अपने अधिकृत अधिकारी को युद्ध और शांतिकाल में मिले दायित्व पूरा करने के लिए तैयार रहने में मदद देता है। सरकार ने खासा जोर देकर सहायक और अधिकारी के बीच रिश्ते को विश्वास, सम्मान, स्नेह का संबंध होता है। अक्टूबर 2008 में पेश संसदीय समिति की 31वीं रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि सहायक के तौर पर तैनात जवानों को घरेलू नौकर की तरह इस्तेमाल किया जाता है। लिहाजा देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती होने वाले जवानों के दुरुपयोग और अपमान की यह व्यवस्था तत्काल खत्म की जानी चाहिए। हालांकि समिति की सिफारिशों पर 15 दिसंबर 2009 के भेजे जवाब में रक्षा मंत्रालय का कहना था कि सहायकों का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए सेना मुख्यालय ने न केवल विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं बल्कि समय-समय पर इस बारे में अधिकारियों को सजग भी किया जाता है। समिति के आगे सेना के एक प्रतिनिधि ने ही इस बात की गवाही दी थी कि फौज में सहायक के तौर पर तैनात जवान का काम अधिकारियों के घरेलू काम करना नहीं है, लेकिन उन्हें आज्ञा पालन के नाम पर ऐसा करना पड़ता है। सहायक परंपरा के बचाव को लेकर रक्षा मंत्रालय के तर्को से संसदीय समिति खासी खफा है। संसद में पेश समिति की ताजा रिपोर्ट इस परंपरा को जारी रखने को औचित्य पर ही सवाल उठाती है। समिति की सदस्य राजकुमारी रत्ना सिंह कहती हैं कि जब नौसेना और वायुसेना अपने यहां इस तरह की व्यवस्था खत्म कर चुके हैं तो यह समझना मुश्किल है कि फौज इसे क्यों जारी रखना चाहती है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि बदलते वक्त के साथ सेना के अधिकारियों को भी अपनी सोच बदलना चाहिए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में नौसेना और वायुसेना से सीख लेते हुए फौज को उपनिवेश काल की याद दिलाने वाली इस परंपरा को फौरन बंद करने की मांग दोहराई है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

SHARE ME

IMPORTANT -------- ATTENTION ---- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

SITE---TRACKER


web site statistics

ब्लॉग आर्काइव

  © template Web by thepressreporter.com 2009

Back to TOP