डबवाली- पंजाबी व हिन्दी फिल्मों में आजकल अशीलता व नग्रता परोसी जा रही है। इसलिए दर्शक फिल्मों से दूर होते जा रहे हैं। यह बात आज यहां प्रजापति ब्रह्मकुमार ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित गीता पाठशाला में योगीराज सूर्य प्रकाश के साथ पहुंचे पंजाबी फिल्मों के प्रख्यात हास्य कलाकार मेहर मित्तल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने बताया कि अपने 35 वर्षों के लम्बे कार्यकाल के दौरान 200 से अधिक फिल्मों में अभिन्य कर चुकें हैं तथा पिछले दिनों अपनी अन्तिम फिल्म की शूङ्क्षटग पूरी करके फिल्मों को अलविदा कह चुके हैं। श्री मित्तल इन दिनों ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर अध्यात्मिक प्रचार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें फिल्मों में अभिन्य के लिए फिल्मों का सबसे सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दादा साहेब फाल्के आवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि फिल्मों की लाईफ बड़ी चकाचौंध भरी है, दूर से यह बड़ी आसान नज़र आती है परन्तु हकीकत में बहुत मुश्किल है। उन्होंने इस चकाचौंध भरी लाईफ में कभी भी मास-मदिरा का सेवन नहीं किया। तदोपरान्त मेहर मित्तल ने गीता पाठशाला में उपस्थित संगतों को अपने अध्यात्मिक प्रवचनों से मन्त्र मुग्ध कर दिया। इस दौरान उन्होंने अपने अन्दाज में हास्य चुटकले सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। इस अवसर पर नामधारी ऑटो स्पेयर पार्टस के संचालक दरिया ङ्क्षसह नामधारी ने भी उनसे मुलाकात की।
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बुधवार, 7 अप्रैल 2010
फिल्मों में आजकल अशीलता व नग्रता परोसी जा रही है -मेहर मित्तल
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