नई दिल्ली -नक्सलियों ने अब तक के सबसे बड़े इस हमले के लिए शिकंजा भी बेहद अचूक तैयार किया था। उन्होंने सुरक्षा बलों के खुफिया तंत्र में घुसपैठ कर उस इलाके में नक्सल ट्रेनिंग कैंप चलने की झूठी सूचना भिजवाई। कार्रवाई के लिए जब सुरक्षा बल पहुंचे तो उन पर तीन तरफ से घात लगा कर जबर्दस्त हमला किया गया। सुरक्षा बलों के खुफिया नेटवर्क में नक्सलियों की घुसपैठ कितनी तगड़ी थी, इस बात का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि वहां उपलब्ध सारी फोर्स इस सूचना पर कार्रवाई के लिए निकल पड़ी। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ऐसी सूचना पर फौरी कार्रवाई तभी होती है, जब सूत्र बहुत पुराना और विश्वसनीय हो। इसके बावजूद इतने बड़े अभियान पर निकलने से पहले उसे दूसरे सूत्रों से भी पक्का किया जाता है। इसलिए लगता है कि नक्सलियों ने वहां के सरकारी खुफिया नेटवर्क में बहुत जोरदार पैठ बनाई थी। सीआरपीएफ की डेढ़ कंपनी हमले के इरादे से निकल पड़ी। नक्सलियों की कामयाबी में कुछ योगदान वहां मौजूद सुरक्षा बलों की ओर से लिया गया रणनीतिक फैसला भी हो सकता है। ऐसे ऑपरेशन को संचालित करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि आम तौर पर अभियान में शामिल सारे लोग एक साथ किसी जगह नहीं जाते। जबकि नक्सलियों ने जिस जगह सुरक्षा बलों को घेरकर मारा वह तीन तरफ से ऊंची पहाडि़यों से घिरा मैदान जैसा इलाका था। लिहाजा सुरक्षा बलों को पलटवार का कोई मौका भी नहीं मिल पाया। ऐसे में सुरक्षा बलों के पास सिर्फ छुपकर खुद को बचाना ही एकमात्र चारा था। जवानों ने पेड़ की ओट ली, लेकिन नक्सलियों ने वहां पहले से ही प्रेशर माइंस लगाई हुई थीं। ज्यादातर मौतें इन प्रेशर माइंस के फटने से हुईं। यह हमला नक्सलियों के बेहतर खुफिया तंत्र और गुरिल्ला रणनीति के साथ ही आधुनिकतम तकनीक के इस्तेमाल में बढ़ती उनकी महारथ के संकेत दे रहा है। इस हमले में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग रोधी गाड़ी (एमपीवी) को भी उड़ा दिया। गृह मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि नक्सलियों की ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाला ऐसा दस्तावेज हाल ही में बरामद किया गया था जिसमें एमपीवी उड़ाने की तकनीक समझाई गई है, लेकिन यहां उन्होंने इस तकनीक का इस्तेमाल भी कर दिखाया। इस तकनीक में एमपीवी को उड़ाने के लिए काफी बड़ी मात्रा में विस्फोटक की जरूरत होती है।
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