यंग फ्लेम अपने आप में एक ऐसा नाम है। जो अपने अन्दर दो लफ्जों को समाए हुए है। जिसका अर्थ ही है कि यंग यानि युवा व फ्लेम यानि अग्रि। युवा शक्ति में वह आग है जो देश व समाज को नई दिशा प्रदान कर सकती है। भारतीय संस्कृति में अग्रि का विशेष महत्व है, कोई भी कार्य का शुभारम्भ करने से पूर्व पवित्र अग्रि को जलाया जाता है। इसी अग्रि को जलाने का हमारा यह तुच्छ प्रयास है कि युवाओं में आग तो है परन्तु उस आग की लकडिय़ों में नशों की दीमक लग रही है उससे हम उन्हें बचा सकें।
Young Flame,Is(Trilingual)Newspaper Run By Dr SUKHPAL'SINGH From Dabwali,Disst-sirsa, Haryana, This Site Deals With Latest Breaking News And Good Articles Of Great Information For Every Section Of Society In English,Punjabi And Hindi
भारतीय लोकतान्त्रिक प्रणाली अपने 6वें दशक में जिस उतार-चढ़ाव से आगे बढ़ रही है। वह काफी सराहनीय है। लेकिन लोकतान्त्रिक प्रणाली के मुख्य तीनों अंगों में भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में लोगों के विश्वास को कायम रखने के लिए लोकतन्त्र व्यवस्था के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारिता से ही उम्मीदें हैं पर देखने में आ रहा है कि जिस तरह से हमारी भारतीय राजनीति में गैर समाजिक तत्वों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है उसी तरह से पत्रकारिता के क्षेत्र में भी स्वार्थी लोगों ने सेंध लगाना शुरू कर दिया है। जिससे आजकल पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रदेश में विगत दिनों हुए विधान सभा व लोकसभा चुनावों में देखने को मिला कि किस तरह भिन्न - भिन्न राजनीतिक दलों ने ख्रबर की सुॢखयों को विज्ञापनों का रूप देकर आम मतदाता को भ्रमित कर वोट बैंक बढ़ाने का कार्य किया। इससे चाहे इन राजनीतिक दलों को कोई फायदा हुआ हो या नहीं परन्तु समाचार पत्रों को आॢथक लाभ अवश्य हुआ है। जहां एक ओर मतदाताओं को भ्रमित कर उनसे विश्वासघात किया गया। वहीं यह लोकतान्त्रिक प्रणाली के लिए अति घातक सिद्ध हो रहा है। क्योंकि कलम से निकला एक-एक लफ्ज कईयों को घायल करने की क्षमता रखता है। जबकि बन्दूक से निकली गोली केवल एक को ही घायल कर सकती है। अब समय आ गया है कि इस पवित्र पेशे की पवित्रता को कायम रखने के लिए माथापच्ची करने की जरूरत है ताकि लोगों का दृढ़ विश्वास पत्रकारिता से उठने न पाए। इसलिए ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे पीली पत्रकारिता करने वाले स्वार्थी लोगों से बचा जा सके। यंग फ्लेम समाचार पत्र का मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष एवं सकारात्म पत्रकारिता करना है। जो अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि समाज के हित व विकास के लिए आपकी आवाज को बुलन्द करेगा। लेकिन हमारा यह प्रयास इस बड़े समुन्द्र में ऐसी बूंद की तरह है जो इस जल को अमृत में तबदील करने की क्षमता रखता है। यंग फ्लेम एक ऐसी मशाल है जो सच्चाई की रोशनी को हर दिल में जगाए रखने का वायदा करती है। लेकिन यह सब हकीकत में तभी साकार हो सकता है। जब आप जैसे महानुभाव इस मशाल को जगाए रखने के लिए हमारे हाथ से हाथ मिला कर चले ताकि हम पत्रकारिता के इस मुकाम की ऊंचाईयों को आसमान में उन टिमटिमाते तारों के समान चमका सकें। जैसे अनेक तारों में धु्रव तारा। यंग फ्लेम समाचार पत्र पत्रकारिता के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करने जा रहा है। युवा पीढ़ी की रूचि को मद्देनज़र रखते हुए राष्ट्र भाषा हिन्दी के साथ - साथ अन्तर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी में एक साथ प्रकाशित किया गया है। हमारा प्रयास है कि जहां हम अपनी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी से ओत-प्रोत भारतीय संस्कृति से जुडें रहेंगे। वहीं आधुनिक सूचना क्रान्ति व प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपने को पिछड़ा महसूस न समझकर अंग्रेजी भाषा के माध्यम से युवाओं को अपने साथ जोड़ इस मशाल की लौ को इतना तीव्र करना चाहते हैं कि हमारे समाज से कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा व नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराईयों को जड़ से जला दें। हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यंग फ्लेम समाचार पत्र आपके दिलों में सच्चाई की मशाल जलाने में सफल होगा।
डा. सुखपाल सिंह सांवतखेड़ा
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सूचना प्रोद्योगिकी के इस युग में कम्प्युटर तथा सूचना तकनीकी से जुड़े अधिकतर लोग लगातार कई घंटों तक कम्युटर पर कार्य करते रहते हैं, bahut एसे भी हैं जो शौकिया या व्यसनी तौर पर ही सही घंटों कम्प्युटर के सामने बैठे रहते हैं और बड़ी चाव से मॉनिटर को निहारते रहते हैं| सही तौर पर कहें तो हम कम्युटर के इतने आदी हो गए हैं की एक बार कम्युटर के सामने बैठ गए तो फिर वहां से हटने का ख्याल ही नहीं आता और घंटो आँखे गड़ाए बस मोनिटर को निहारते हुए कार्य करते रहते हैं| यह हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन गया है, आज हम कम्युटर पर कार्य किये बिना दिन नहीं बिता सकते| कुछ न कुछ कार्य लगा ही रहता है, यदि कोई विशेष कार्य नहीं तो बस मौज मस्ती ही सही और हम जुट जाते हैं इन्टरनेट पर मटरगस्ती करने के लिए और जो एक बार इन्टरनेट की रह पकडी तो फिर अंत कहाँ!!! कुछ और नहीं तो कम्युटर पर विडियो गेम ही खेलने में मसगुल हो जाते हैं.... जो लोग कम्प्युटर के कार्य से जुड़े हैं जैसे की सॉफ्टवेर प्रोग्रामर तथा बीपीओ एवं कॉलसेंटर में कार्य करने वाले लोग तो १२-१५ घंटे कम्युटर मोनिटर से आँखे दो-चार करते रहते हैं... लगातार कई घंटों तक कम्युटर को देखने से हमारी आँखों पर इसका बेहद ही बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके परिणाम स्वरूप हमारी आँखे कमजोर हो सकती हैं जिससे हमारी आँखों पर नंबर वाले चश्में लगाना अनिवार्य हो जाता है| लगातार एक-टक मॉनिटर को निहारते रहने से हमारी आँखों को जरूरी विश्राम नहीं मिल पता तथा हमारी आँखों की पुतली सुखाने लगती है जो हमारी आँखों के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है| बस हमें कम्युटर पर कार्य करते समय नियमित रूप से थोडी थोडी अंतराल पर आँखों के सुरक्षा के लिए कुछ उपाय करते रहने चाहिए जो हमारी आँखों को रहत पहुँचाने के आलावा उनके स्वास्थ्य रहने में भी काफी कारगर सिद्ध होता है| कुछ उपाय जो हमारी आँखों को कमजोर पड़ने से बचायेंगे निम्नलिखित हैं, इनका पालन करके bahut हद तक आँखों को सुरक्षित रखा जा सकता है: क्या करें: ----------- कभी भी मॉनिटर को लगातार घूर-घूर कर नहीं देखना चाहिए, समय समय पर अपनी पलकों को झपकते रहना चाहिए| हर १५-२० मिनट पर मॉनिटर की तरफ से अपनी नजर हटा कर कमसे कम २-३ मिनट के लिए किसी २०-२५ फीट दूर जगह पर ध्यान ले जाएँ और उस दौरान अपने गरदन को दायें-बाएँ घुमाते रहे| हर ४०-५० मिनट पर अपने हाथों की हथेली को आपस में अच्छी तरह से रगड़ कर आँखों को हथेली से करीब १ मिनट तक ढके रहे इससे आँखों को काफी राहत मिलती है| हर घंटे-दो-घंटे में अपने चहरे एवं आँखों पर पानी के छींटे मारें इससे आपको न सिर्फ ताजगी मिलेगी अपितु आपकी आँखों को भी राहत महसूस होगा और वे तरोताजा रहेंगे| हर दो-घंटे के उपरांत कम से कम ५ मिनट के लिए कहीं टहलने के लिए निकल जाये इससे आप की आँखों को कुछ समय के लिए राहत मिला जायेगा| साथ ही साथ ऐसा करनें से आपके कमर, कंधे एवं रीढ़ की हड्डी का भी कसरत हो जायेगा| कम्प्युटर पर कार्य करते वक्त हो सके तो हर संभव एंटीग्लेअर चश्मा जरूर ही पहनें, इससे मॉनिटर से निकलने वाली विकिरणों से हमारे आँखों की सुरक्षा होती है| अपनें भोजन में एसे फल एवं सब्जिओं का प्रयोग करे जिससे आँखों को पोषण मिल सके, जैसे की रोज कम से कम एक गाजर जरुर खाएं| हफ्ते में एक बार आँखों में सुरमा या काजल लगायें इससे आँखों को काफी राहत मिलाता है| आप आँखों में शुद्ध शहद या नेत्रप्रभा भी लगा सकते हैं| आँखों में कोई भी दवा लगाते समय सफाई का ध्यान देना बेहद आवश्यक है| आँखों में लगातार ज्यादा दर्द, जलन या चुभन हो तो तुंरत ही नेत्र विशेषज्ञ से मिलें| वैसे भी समय समय पर आँखों की जांच करवाते रहना चाहिए| क्या न करें: ---------- आँखों में दर्द होने पर या आँखों में कुछ गिर जाने पर कभी भी आँखों को जोर जोर से न रगडें, बल्कि अपनी पलकों को तेजी से झपकें इससे आँखों में अंशु आ जायेंगे जो आँखों के लिए अमृत से कम नहीं हैं, आँशु आने से आँखों में पड़ी गन्दगी भी आँशु के साथ बह कर निकल जायेगी| घुर-घुर कर या टक- टकी लगाकर एवं लम्बे समय तक मॉनिटर को न देखें| बिना साफ़ किये हाथों या कपडे से आँखों को न पोछें| बिना विशेषज्ञ के परामर्श के आँखों में कोई भी दवा या आई-ड्राप न डालें| आँखों को धुल-मिटटी के संपर्क में आने से बचाएं|
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