डबवाली (यंग फ्लेम) हरियाणा सरकार की ओर से विज्ञान विषय की फ्री कोचिंग देने की योजना की बीच में ही हवा निकल गई है। सिरसा जिले में तो कोचिंग लेने वाले बच्चों की संख्या आधी से भी कम रह गई है। जिले के विभिन्न स्कूलों में चल रही मैथ, फिजिक्स, कैमेस्ट्री व बायोलॉजी की कोचिंग का जायजा लेने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से जब निरिक्षक ने जब इन फ्रि चल रही कोचिंग कक्षाओं का दौरा किया तो कोचिंग कक्षाओं में बच्चों की संख्या देखकर हैरान रह गए क्योंकि सभी कक्षाओं में लगभग 650 विद्यार्थी ही मौजूद थे जबकि कोचिंग देने वाली संस्था को 1470 बच्चों की लिस्ट दी गई थी। बच्चों की कम संख्या मिलने के कारण निरिक्षक ने पिछला पूरा रिकार्ड जांच के लिए मांगा है। इसके साथ ही कोचिंग दे रहे शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता का रिकार्ड भी मांगा है। निरिक्षक के अनुसार सरकार ने 11वीं-12वीं के विज्ञान विषय के बच्चों को गर्मियों में एक जून से नि:शुल्क कोचिंग देने का अभियान शुरू किया था जो 30 जून तक चलेगा। प्रथम दिन तो लगभग 1400 विद्यार्थी कोचिंग लेने आए थे मगर बाद में धीरे-धीरे संख्या कम होती गई।
शिक्षकों में अनुभव की कमी
कोचिंग ले रहे बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कोचिंग देने के लिए जो शिक्षक लगाए गए हैं उन्हें पढ़ाने का अनुभव कम है। उन्हें स्कूल में जिस तरह से समझाया जाता था, उस तरह से पढ़ाया नहीं जा रहा है, इसलिए उन्हें कोचिंग लेने की बजाय घर पर ही रहकर पढऩा उचित समझा। दूसरी ओर पढ़ाने वाले शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि पढ़ाने वाले शिक्षकों की जितनी योग्यता होनी चाहिए उतनी नहीं है।
सरकारी पैसे की बर्बादी
इस बारे में शिक्षाविद प्रो. करतार सिंह ने हरियाणा की मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि फ्री कोचिंग के नाम पर सरकारी पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने तर्क दिया है कि न तो पढ़ाने वाले शिक्षकों को अनुभव है तथा न ही उनके पास पूरी शैक्षणिक योग्यता है, लिहाजा कोचिंग देने के लिए नियुक्त एजेंसी को भुगतान न किया जाए क्योंकि यह किसी घोटाले से कम नहीं है। उनका आरोप है कि सभी जिलों में बच्चों की संख्या कम है जबकि बिल अधिक संख्या दिखाकर बनाए जाएंगे। करतार सिंह का कहना है कि उन्होंने इससे पहले हरियाणा के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को शिकायत भेजी थी जिसमें कोचिंग कक्षाओं की जांच करने व भुगतान रोकने की मांग शामिल थी मगर किसी भी जिला शिक्षा अधिकारी ने शिकायत पर गौर करना मुनासिब नहीं समझा।
घोटाले की आशंका
करतार सिंह का कहना है कि इस पूरे मामले में घोटाला होने की आशंका है। फ्री कोचिंग देने की एवज में सरकार एजेंसी को प्रति विद्यार्थी 6 हजार रुपये का भुगतान करेगी। यानि एक बच्चे को कोचिंग देने पर एजेंसी को 6 हजार रुपये मिलेंगे। कोचिंग के लिए बच्चे कम आ रहे हैं मगर एजेंसी चलाने वाले अधिक बच्चों की संख्या दर्ज कर रहे हैं ताकि ज्यादा बिल बनाया जा सके। उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले की गहनता से जांच कराने की मांग की है।
क्या कहते है एसडीएम
इस संबंध में जब उपमंडलाधिश मुनीश नागपाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह जल्द ही इस बारे में उपमंडल शिक्षा अधिकारी से आंकडे एकत्रित कर मामले की जांच करेंगे।
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शनिवार, 25 जून 2011
फ्री कोचिंग की निकल गई हवा, आधे से भी कम रह गए विद्यार्थी
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