डबवाली न्यूज़ डेस्क
डाक कर्मियों की छोटी-सी लापरवाही कितने लोगों को प्रभावित कर सकती है, इसका अंदाजा शायद डाक कर्मियों को भी न हों। चूंकि भेजी जाने वाली डाक में न जाने किसका क्या संदेश है?
खासकर छात्रों के लिए तो डाक के गुम जाने से कैरियर ही दांव पर लग जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
गांव बनवाला निवासी प्रदीप शर्मा व विनोद कुमार ने बताया कि उन्होंने 6 अक्टूबर को ओढां डाकघर से दो पत्र रजिस्ट्री की थी। जिन्हें एक या दो दिन में गतंव्य पर पहुंच जाना चाहिए था। उन्होंने अपने रजिस्ट्री पत्रों को इंटरनेट पर ट्रेक भी किया, जिसमें डाक ओढां ही दर्शाई जा रही थी। चार दिन बीतने पर उन्होंने डाक विभाग में इस बारे पता किया तो कहा गया कि डाक पहुंच गई है। सर्वर डाऊन होने की वजह से ट्रेक गलत दर्शा रहा है। इसलिए वे बेफ्रिक रहें। प्रदीप शर्मा ने बताया कि जब 10 दिन बाद 15 अक्टूबर को ओढां डाकघर में इस बारे पूछा तो तब भी बहानेबाजी की गई। आखिरकार बताया गया कि ओढां से डाक सिरसा भेज दी गई थी। सिरसा में डाक का बैग कहीं गुम हो गया है, इसलिए डाक अपने गतंव्य पर नहीं पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सिटी की आखिरी तारीख से पहले फार्म पहुंचाने के लिए ही रजिस्ट्री की थी लेकिन डाक विभाग के कर्मियों ने उन्हें अंधेरे में रखा। जिसके कारण फार्म भरने की आखिरी तारीख बीत गई। प्रदीप शर्मा की भांति अन्य के साथ भी क्या हुआ होगा, इसका अंदाजा स्वयं डाक विभाग के कर्मचारियों को भी नहीं होगा। हालांकि डाक विभाग द्वारा इस बारे में रजिस्ट्री करवाने वालों को सूचित नहीं किया गया है, जिसके कारण वे लोग आज भी अंधेरे में है।
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