
: कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची में जहां कइयों के चेहरे पर मुस्कान आई है, वहीं कई विधायकों के टिकट कटे व कई दावेदार टिकट से वंचित रह गए। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कई बैल (संघर्ष के साथी) भी टिकट से महरूम हुए। उपमुख्यमंत्री रहे पंचकूला के विधायक चंद्रमोहन फिजा से मोहब्बत के चलते टिकट नहीं पा सके। इसी प्रकार मुख्य संसदीय सचिव रमेश कौशिक की भी कांग्रेस ने राई विधानसभा क्षेत्र से छुट्टी कर दी। ब्राह्मण कोटा पूरा करने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलदीप शर्मा को साथ लगती गन्नौर सीट से प्रत्याशी बनाया है पर कुलदीप को टिकट देने से इसी सीट के दो दावेदार सीआईडी के एडीजीपी की पत्नी पूनम राठी और सोनीपत के सांसद जितेंद्र मलिक के भाई हरिंद्र मलिक टिकट से वंचित रहे। हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर आजाद मुहम्मद को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। इनकी सीट फिरोजपुर झिरका सीट से पार्टी ने मामन खान को प्रत्याशी बनाया है। समालखा से विधायक भरत सिंह छोक्कर का टिकट काटकर इनके स्थान पर युवा कांग्रेस के प्रदेश प्रधान संजय छोक्कर को प्रत्याशी बनाया है। नीलोखेड़ी सीट आरक्षित हो गई सो यहां से निवर्तमान विधायक जय सिंह राणा घरौंडा से टिकट चाहते थे पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। विधायक छत्तरपाल सिंह का क्षेत्र घिराय समाप्त हो गया वे बरवाला से टिकट चाहते थे। बरवाला से निवर्तमान विधायक रणधीर सिंह धारा हैं। पर पार्टी ने छत्तरपाल या रणधीर सिंह किसी को भी बरवाला से टिकट नहीं दिया। यह दीगर बात है कि रणधीर के भाई पूर्व सांसद जय प्रकाश को साथ लगती आदमपुर सीट दे दी गई और छतरपाल अभी हांसी या नलवा सीट पर नजर गढ़ाए हैं। तकनीकी शिक्षा मंत्री व फरीदाबाद के विधायक एसी चौधरी का अब नई बनी बड़खल पर दावा था। पर पार्टी ने वहां मेवला महाराज पुर के विधायक महेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दे दिया है। अभी चौधरी को फरीदाबाद एनआईटी सीट से आशा है। गौरतलब है कि एसी चौधरी ने लोकसभा चुनाव के वक्त पार्टी से बगावत के सुर अपना लिए थे। उन्होंने फरीदाबाद से टिकट ना मिलने पर नाराज होकर कांग्रेस आला कमान सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा तक भेज दिया था। कैथल से पार्टी ने शमशेर सिंह सुरजेवाला का टिकट काटा पर उनके साहबजादे बिजली मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला को कैथल टिकट दे दिया है। गीता भुक्कल को झज्जर से पार्टी प्रत्याशी बनाने के कारण यहां के विधायक हरीराम बाल्मिकी को टिकट नहीं मिल पाया है। अटेली के निर्दलीय विधायक नरेश यादव का हरियाणा की कांग्रेस सरकार को समर्थन मिला हुआ था। यादव को उम्मीद थी कि अटेली से कांग्रेस इस बार उन्हें प्रत्याशी बनाएगी। पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नरेश यादव ने अटेली से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। इसी तर्ज पर नूंह के निर्दलीय विधायक हबीबुर रहमान भी पांच साल सरकार के साथ रहने के कारण नूंह सीट पर कांग्रेस की टिकट का दावा कर रहे थे। निवर्तमान विधायकों के इलावा की दिग्गज दावेदार भी टिकट से महरूम रहे हैं। बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए देवराज दीवान को कांग्रेस ने सोनीपत से प्रत्याशी नहीं बनाया। पूर्व मंत्री राजकुमार वाल्मिकी नीलोखेड़ी और कान्फैड के चेयरमैन बजरंग दास गर्ग पंचकूला सीट पर ताल ठोंक रहे थे। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार प्रो.बीरेंद्र सिंह और पूर्व एचसीएस अधिकारी जेपीएस सांगवान बरौदा सीट से टिकट के दावेदार थे। पार्टी ने नई बनी सीट कालका से मजबूत दावेदार ओम प्रकाश गुज्जर को भी टिकट नहीं दिया। बादशाह पुर में प्रदीप जैलदार को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। सिरसा में उद्योग मंत्री लक्ष्मण दास को टिकट देने से जिला कांग्रेस प्रधान होशियारी लाल शर्मा और प्रदेश संगठन सचिव नवीन केडिया नाराज चल रहे हैं। फतेहाबाद सीट पर दावा कर रहे प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा ने कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। गिल्ला खेड़ा हविपा से कांग्रेस में आए थे और उन्हें किरण चौधरी पर भरोसा था। पृथला सीट पर पलवल क्षेत्र के रघुबीर सिंह तेवतिया को टिकट देने से स्थानीय दावेदार नाराज हैं। इनमें सतबीर डागर और हेम डागर हैं।
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