
सुल्तानपुर लोधी( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : अमूमन शादियां खुशी व उल्लास के माहौल में धर्म ग्रंथों या वेद मंत्रोच्चार के साथ होती है और तलाक दुख, तकलीफ और झगड़े के साथ अदालती फरमान के बाद होता है। लेकिन शनिवार को यहां एक अनूठा तलाक हुआ। न कोर्ट-कचहरी के चक्कर, न वकील की फीस और न एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप। और तो और लड़की ने हर्जाने के तौर पर कोई पैसा लेना ही कबूल किया। बस श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष अरदास की और वैवाहिक बंधन से मुक्ति हासिल कर ली। स्वर्गीय बावा सिंह टोडरवाल की बेटी सिमरजीत कौर की शादी लगभग दो वर्ष पहले गुरुद्वारा श्री संतघाट साहिब के ग्रंथी कुलदीप सिंह के बेटे गुरबीर सिंह के साथ धूमधाम से हुई थी। गुरबीर सीमा सुरक्षा बल में नौकरी करता है। बकौल सिमरजीत शादी में दस तोले सोने के जेवरात के अलावा लगभग तीन लाख रुपये का सामान भी दिया गया। शादी के बाद परिवार में छिटपुट विवादों के चलते तनाव रहने लगा। संत बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल द्वारा अन्य गणमान्य लोगों के सहयोग से ससुराल पक्ष को सिमरजीत के साथ सहयोग करने को कहा गया। इसके बाद पंचायत के फैसले में संबंध तोड़ने पर ससुराल पक्ष को छह से दस लाख रुपये बतौर हर्जाना देने का करार लिया गया था। सिमरजीत ने पैसे लेकर तलाक करने की बात को नामंजूर कर दिया। संत सीचेवाल ने भी लड़की की इज्जत को रुपये से तोलने की बात को अस्वीकार करते हुए उसे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष अरदास कर इस रिश्ते का त्याग करने की सलाह दी। इस पर समूची पंचायत ने सहमति प्रकट करते हुए शनिवार को अमली जामा पहनाया गया। गुरुद्वारा श्री संतघाट साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की मौजूदगी में अरदास के बाद लड़के के पिता ग्रंथी कुलदीप सिंह व माता भूपिंदर कौर द्वारा सिरोपा भेंट कर अपनी बहू से संबंध विच्छेद कर लिया गया।
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