
केंद्र सरकार ने शैम्पू, गुटखा, पान मसाला, नमकीन और बिस्किट के प्लास्टिक व धातु से बने पाउचों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है। इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्लास्टिक निर्माण, उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम 2009 के नियमों पर प्रभावित पक्षों से विचार मांगे हैं। इस अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक या धातु के ऐसे पाउचों का प्रयोग नहीं कर सकता जिनका पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता। नियमों में यह भी कहा गया कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के मानदंडों को पूरा करने वाले बायो डिग्रेडेबल (दोबारा प्रयोग में लाए जा सकने वाले पदार्थ) प्लास्टिक फिल्म से बने पाउचों के ही इस्तेमाल की इजाजत दी जाएगी। जनता और उद्योग जगत के विचारों पर दिसंबर के अंत तक गौर किया जाएगा। अगर मौजूदा नियमों को ही स्वीकार किया गया तो रोजमर्रा के सामान बनाने वाली और खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों सहित विभिन्न उद्योगों को पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का ही प्रयोग करना होगा। पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव राजीव गाबा ने कहा, ये प्रस्ताव गत वर्ष दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से गठित चोपड़ा समिति के सुझावों के बाद आया है। दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरसी चोपड़ा की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति ने स्वास्थ्य व पर्यावरण को होने वाले नुकसान का हवाला देते हुए धातु तत्वों से युक्त रंगीन थैलियों पर भी प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने गत जनवरी में राजधानी में अधिसूचना जारी कर होटलों, अस्पतालों, शापिंग माल और बाजारों में प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध तोड़ने पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।
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