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शनिवार, 21 नवंबर 2009

एक और जल विवाद

पंजाब व हरियाणा के बीच जल विवाद में एक और अध्याय जुड़ गया है। हरियाणा के सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने पंजाब में बन रहे शाहपुर कंडी बांध के निर्माण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिंचाई मंत्री यादव की अगुवाई में हरियाणा सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज शुक्रवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल से दिल्ली में मुलाकात की। बैठक में सिंचाई विभाग के वित्तायुक्त केके जालान, मुख्यमंत्री के सलाहकार आरएन पराशर और केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल थे। कैप्टन यादव ने कहा कि शाहपुर कंडी परियोजना को केंद्रीय वित्तीय सहायता और मंजूरी देने से पहले हरियाणा को भी विश्वास में लिया जाए क्योंकि वह भी रावी का को-बेसिन राज्य है। साथ ही भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से भी इस संबंध में विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। कैप्टन यादव ने कहा कि 2001 में जब पंजाब ने योजना आयोग से इस परियोजना की मंजूरी ली थी तब योजना आयोग ने मंजूरी के साथ शर्त रखी थी कि परियोजना के संबंध में पंजाब रावी के अपने को-बेसिन राज्यों हरियाणा व राजस्थान से भी इस संबंध में विचार-विमर्श करे, पर वास्तविकता यह है कि गत आठ वर्षो में पंजाब ने हरियाणा से कोई बात नहीं की है। उन्होंने दावा किया कि पंजाब ने केंद्र सरकार की टेक्नीकल एप्रेजल लेने से पहले यह तथ्य छिपाया कि हरियाणा और बीबीएमबी से इस विषय में कोई बातचीत नहीं की गई। कैप्टन यादव ने कहा कि चूंकि यह पानी रावी में से लिया जाएगा इसलिए इस बांध से तैयार होने वाली बिजली में हरियाणा का भी हिस्सा होना चाहिए। सिंचाई मंत्री ने कहा कि इससे पहले भी थीन बांध से बिजली के बंटवारे का झगड़ा पंजाब व हरियाणा में चल रहा है। उत्तर राज्य परिषद ने हालांकि कहा था कि केंद्र सरकार थीन बांध की बिजली के बंटवारे के विवाद को निपटाए लेकिन अगर यह विवाद नहीं निपटाया जा सकता तो सुप्रीमकोर्ट में इसका रेफ्ररेंस दिया जाए पर आज तक ये दोनों ही काम नहीं हुए। इस प्रकार थीन बांध की बिजली के बंटवारे का विवाद अभी भी निपटा नहीं है और ऊपर से यह नया विवाद शुरू हो जाएगा। पंजाब थीन बांध से कितना पानी रिलीज करता है, उसकी मात्रा की जानकारी भी वह हरियाणा को नहीं देता। किशाऊ, रेणुका व लख्वार व्यासी बांधों के लिए बॉडी बनाई जाए कैप्टन यादव ने कहा कि यमुना पर बनने वाले किशाऊ, रेणुका व लख्वार व्यासी बांधों के लिए बीबीएमबी की तर्ज पर संबंधित छह राज्यों की एक बॉडी बनाई जानी चाहिए ताकि कोई अंतरराज्यीय विवाद पैदा न हो। इसके साथ ही इन छह राज्यों में इस पानी के बंटवारे के लिए नया समझौता होना चाहिए क्योंकि पुराना समझौता रद हो चुका है। उन्होंने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना बनाने के लिए केंद्र सरकार का आभार भी व्यक्त किया।

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