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गुरुवार, 14 जनवरी 2010

हाथी ने सबको रौंदा

लखनऊ, कल यानी 15 जनवरी को बसपा प्रमुख मायावती का जन्म दिन है। उनके लिए इससे बड़ा और कोई तोहफा नहीं हो सकता कि स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद चुनाव में उनकी पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल कर ली। बुधवार को जिन 33 सीटों की मतगणना हुई उनमें से 31 सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। सिर्फ दो सीटें ऐसी रहीं जहां उसके प्रत्याशी नहीं जीत पाए। इनमें से एक प्रतापगढ़ है, जहां सपा ने जीत दर्ज की। दूसरी सीट रायबरेली है, जहां कांग्रेस जीती है। भाजपा, रालोद का तो सफाया हो गया। बसपा के लिए इस बड़ी जीत के साथ एक खास बात यह भी है कि विधान परिषद के अंदर सरकार का बहुमत हो गया है। अभी तमाम मौके ऐसे आते थे जब विपक्ष के अड़ जाने की वजह से मतदान होने की स्थिति में विधेयक पारित नहीं हो पाते थे। इससे सरकार की किरकिरी होती थी। सौ सदस्यीय विधान परिषद में बसपा पहली बार बहुमत में आई है। इस सदन में अभी तक बसपा के 22 सदस्य थे। 31 बुधवार को जीत गए। अब बसपा सदस्यों की संख्या 53 हो गई है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि अब विधान परिषद का सभापति भी बसपा का होगा। अभी तक इस सदन में सबसे बड़ी पार्टी सपा थी, जिसके 35 सदस्य थे। स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में ग्राम प्रधान, ब्लाक पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सभासद, छावनी परिषद के सदस्य, विधान सभा सदस्य, विधान परिषद सदस्य और सांसद वोट डालते हैं। इन सीटों के लिए पिछली बार वर्ष 2003 में चुनाव हुए थे। उस समय मुलायम सिंह की सरकार थी। बसपा ने यह कहते हुए चुनाव नहीं लड़ा था कि मुलायम सरकार में निष्पक्ष चुनाव की कोई उम्मीद नहीं है। तब सपा ने 22 सीटों पर खुद जीत दर्ज की थी और आठ सीटों पर उसके समर्थित उम्मीदवार जीते थे। इस बार बसपा ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। सपा 33 सीटों पर चुनाव लड़ी। जबकि कांग्रेस ने 21 और भाजपा ने 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। रायबरेली में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर थी। कांग्रेस यह सीट जीत कर अपनी साख बचाने में कामयाब रही। प्रतापगढ़ सीट पर सपा की जीत का श्रेय निर्दलीय विधायक राजा भैया को जाता है। सपा के टिकट पर जीते अक्षय प्रताप सिंह राजा भैया के करीबी हैं। पिछले विधान परिषद के चुनाव में वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में वह सपा के टिकट पर सांसद हो गए, जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस बार वह लोकसभा का चुनाव हार गए तो उन्होंने फिर विधान परिषद की ओर रुख किया। तीन सीटों- अलीगढ़, बुलंदशहर और मेरठ-गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्रों की मतगणना गुरुवार को होगी।

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