नई दिल्ली,-महंगाई जैसे आम आदमी से जुडे़ मुद्दे पर घटक दलों समेत विपक्ष के निशाने पर आई केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यों को लपेटे में ले लिया। कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने दो टूक कह दिया कि बढ़ती कीमतों के लिए अकेले केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी बराबर की जिम्मेदार हैं। पवार की दलीलों के बाद अंतत: प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाने का निर्णय किया, जिसमें महंगाई पर राज्यों की जवाबदेही तय की जाएगी। यह सम्मेलन जनवरी के आखिरी सप्ताह में बुलाया जाएगा। इसमें राज्यों में आवश्यक वस्तु अधिनियम पर अमल और जमाखोरी रोकने जैसे मुद्दों की समीक्षा की जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति की बैठक में चौतरफा घिरे पवार ने थोक व खुदरा मूल्यों में भारी अंतर के लिए राज्यों पर आरोप मढ़े। कहा, दाल व खाद्य तेल पर 10 से 15 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देने के बावजूद ज्यादातर राज्यों ने उत्साह नहीं दिखाया। सब्सिडी वाला खाद्य तेल बांटने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु और हिमाचल प्रमुख हैं। जबकि आंध्र, बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल में सब्सिडी वाली दालें बेची जा रही हैं। पवार ने कहा जमाखोरी पर पाबंदी लगाने के लिए केंद्र ने राज्यों को आवश्यक वस्तु अधिनियम की शक्ति प्रदान तो कर दी, लेकिन उसका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। आवंटित अनाजों को भी राज्य उठाने में हीलाहवाली कर रहे हैं। राज्यों ने आवंटित 20 लाख टन गेहूं में केवल 1.59 लाख टन उठाया है, जबकि 10 लाख टन चावल में 2.9 लाख टन। राशन दुकानों से अधिक से अधिक खाद्यान्न वितरित करने की अपील भी राज्यों से की गई, लेकिन बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना में भी राज्यों ने कोताही बरती है। ऐसे राज्यों के नामों का उल्लेख करते हुए पवार ने केंद्रीय एजेंसियों को सक्रिय करने का ऐलान किया।
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