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गुरुवार, 19 अगस्त 2010

हरियाणा रोडवेज का बस स्टैण्ड प्रशासनिक उदासीनता के चलते टापू में तबदील

डबवाली-यह तस्वीरें देख कर कहीं आप हैरान तो नहीं? यह तस्वीरें किसी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र की नहीं हैं बल्कि सूरत-ए-हाल ब्यान करती यह चन्द तस्वीरें स्थानीय न्यू बस स्टैण्ड परिसर की हैं। भले ही प्रदेश के परिवहन मंत्री ओम प्रकाश जैन बस स्टैण्डों के आधुनिकीकर पर लाखों रूपये खर्च करने के दावे कर रहे हों लेकिन यहां आकर उन दावों की खुलती पोल सरेआम देखी जा सकती है। स्थानीय हरियाणा रोडवेज का बस स्टैण्ड प्रशासनिक उदासीनता के चलते टापू में तबदील हो चुका है। मामूली से मामूली बरसात के पश्चात बस स्टैण्ड में बरसात का पानी इस तरह से जमा हो जाता है कि जैसे डबवाली क्षेत्र में जबरदस्त बाढ़ आई हो। कई दिन तक बरसाती पानी की निकासी न होने के कारण जमा पानी यात्रियों तथा राहगीरों के लिए परेशानी का सबब तो बनता ही है। इस पानी में पनपने वाले मक्खियां-मच्छर बीमारियों को निमन्त्रण भी दे रहे हैं। जहां जनस्वास्थ्य विभाग ने इसे बस स्टैण्ड का निजी कार्य कह कर इससे अपना पल्ला झाड़ लिया है। वहीं स्थानीय प्रशासन ने भी इस गम्भीर समस्या पर अपनी आंखें मूंद रखी हैं। लाखों रूपयों के बजट वाले इस बस स्टैण्ड पर विभाग भी दमड़ी खर्चने को तैयार नहीं है। निजी बस परिचालक जसपाल नरूला ने बताया कि परिवहन विभाग सहकारी बस समितियों से प्रति बस 1800 रुपये प्रति माह वसूल रहा है। इसके अलावा पंजाब रोडवेज तथा दूसरे निजी ऑप्रेटरों की बसों से प्रति चक्कर बीस रूपये के वसूलें जाते हैं। लेकिन बस स्टैंड पर सुविधाओं के नाम पर मात्र जर्जर भवन है। जो कभी भी गिर सकता है। बरसात में तो भवन की छतों से पानी की धाराऐं निकलती है। हवा पानी का भी पुख्ता प्रबन्ध नहीं है। बस स्टैण्ड परिसर में बना पार्क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यात्रियों के आराम के लिए बना यह पार्क आवारा पशुओं और नशेडिय़ों की शरणस्थली बन चुका है। उन्होंने प्रशासन के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि वे इस बस स्टैण्ड की सुध लें ताकि यात्रियों को मुसीबतों से छुटकारा मिल सके।

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