डबवाली-आर्य समाज के तत्वाधान में आयोजित वाॢषक उत्सव व सामवेदीय यज्ञ महोत्सव का तृतीय चरण शुक्रवार रात्रि आर्य समाज मन्दिर में बड़ी श्रद्धा एवं धूमधाम से मनाया गया। जिसमें द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरूकुल की ब्रह्मचारिणीयों श्रद्धा, शान्ति, श्रीदेवी व मनीषा ने ''चंचल मन नित ओ३म् जपा कर'' व ''प्रभु का भजन न किया जीवन गंवा दिया'' जैसे भजनों के माध्यम से परमपिता परमात्मा का सुन्दर शब्दों में गुणगान किया। इसके पश्चात मंच पर आसीन भाई राजवीर शास्त्री दिल्ली वाले के भजनों ''तेरे नाम का सुमिरन करके, मेरे मन में सुख भर आया'' तथा ''जब ऋषि दया नन्द आया, अन्धकार यहां था छाया'' से समस्त वातावरण भक्तिमय हो गया। उन्होंने ओ३म् तथा ऋषि दया नन्द के विषय में विस्तार से चर्चा की। तदोपरान्त डॉ. अन्नपूर्णा जी ने अपने ओजस्वी प्रवचनों के माध्यम से वेद की वाणी का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा कि अगर परमात्मा का सानिध्य चाहिए तो उस परमपिता परमात्मा की गोद में बैठे प्रतिदिन संध्या-हवन व उपासना करें। उन्होंने कहा कि भृर्तहरि के कहे अनुसार मनुष्य का जीवन 100 वर्षों का है और वेद भी यही कहते हैं परन्तु हम समय का सदुपयोग ही नहीं करते। सच्चे आनन्द की प्राप्ति के लिए प्रयास ही नहीं करते। दिन के आदि से लेकर सायं तक कार्य करते हैं और सायंकाल से भोजन आदि की व्यवस्था और रात्रि में सो कर आधा जीवन गुजार देते हैं तथा आधा जीवन आने-जाने व अन्य दिनचर्या में व्यतीत हो जाता है। आईए अपने जीवन को परिवर्तित करें ओर आज से संकल्प लें कि प्रतिदिन कुछ समय प्रभु भक्ति के लिए निकालेंगे। मंच संचालन प्रचार मन्त्री डॉ. अशोक आर्य द्वारा किया गया। पारिवारिक श्रृंखला का अन्तिम कार्यक्रम शनिवार की प्रात: विजय बांसल के निवास पर हवन यज्ञ से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर धर्मवीर ङ्क्षसगला, गौभक्त राम लाल बागड़ी, प्रकाश चन्द बांसल, मास्टर नत्थू राम अग्रवाल, विनोद बांसल, सुरेन्द्र ङ्क्षसगला, नवरतन बांसल, नीरज जिन्दल, जगदीश राय, जगरूप राय, राजेन्द्र गुप्ता एडवोकेट, अनेक गणमान्य व्यक्तियों सहित काफी संख्या में महिलाऐं भी उपस्थित थी। कार्यक्रम के अन्त में सभी को अल्पाहार तथा प्रसाद वितरित किया गया। यह जानकारी महामन्त्री सुदेश आर्य ने देते हुए बताया कि रविवार को सामवेद यज्ञ की पूर्णाहुति कार्यक्रम प्रात: 9 बजे से 12 बजे तक होगी तथा अन्त में ऋषि लंगर होगातथा राष्ट्र्रीय वैदिक शिक्षा परिषद् द्वारा आयोजित निबन्ध व भाषण प्रतियोगिताओं के विजेताओं को डॉ. अन्नपूर्णा जी अपने कर कमलों द्वारा पुरस्कृत करेंगी।
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शनिवार, 18 दिसंबर 2010
''तेरे नाम का सुमिरन करके, मेरे मन में सुख भर आया'' भजन ने बांधा समां
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