डबवाली (यंग फ्लेम)पब्लिक वाहनों पर सरकारी सायरन शहर में आम बात हो चुकी है। भीड़ भरे इलाके और जाम में अवैध तौर पर इनका प्रयोग जिस तरह से किया जा रहा है उससे लोकतंत्र के लोग परेशान है और तंत्र मूक बाघिर बना हुआ है। मनचले युवक और अवैध तौर चल रही टे्रक्सी वाहन चालक इन सायरन का सरेआम धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे है। गलियों चौराहों में इन वाहनों पर अवैध तौर पर लगे पुलिस के सायरन की आवाज कभी भी कहीं भी सूनी जा सकती है। ऐसे लोगों के लिए कानून काली पट्टी बांधे एक औरत बन चुकी है जिसके सामने अपराध और अपराधियों की कतारें लंबी दर लंबी होती जा रही है और उन पर अंकुश लगाने वाले ही अपराधियों पर कार्यवाही न कर उनके संरक्षक बने हुए है। बकौल दविंद्र सिंह आहलुवालिया उपप्रधान राजीव नगर सहकारी गृह निर्माण समिति ये लोग कानून के मुजरिम तो है ही आम जनता के भी दोषी है। जिस धड़ल्ले से ट्रेफिक में ये इन सायरनों का प्रयोग करते है उससे कभी भी कहीं भी हादसा हो सकता है। वरच्यूस क्लब के अध्यक्ष डा. मथुरा दास चलाना भी पब्लिक वाहनों पर सरकारी सायरनों का प्रयोग एक जनित अपराध तुल्य मान कर उसके खिलाफ कानूनन कार्यवाही उचित करार देते है। अधिवक्ता बहादूर सिंह इन पुलिस के सायरनों के प्रयोग को गंभीर अपराध मानते है उनके मुताबिक मोटर व्हीकल एक्ट में इस तरह के अपराधों के लिए जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। प्रशासन को चाहिए की इन पर अंकुश लगाये और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करे।
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रविवार, 1 मई 2011
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