डबवाली (यंग फ्लेम) वन विभाग केे अधिकारियों की लापरवाही हर रोज कहीं न कहीं देखने सुनने को मिलती है, परंतु उसके बाद भी उच्चाधिकारियों द्वारा कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती। बीते कई दिनों पूर्व आई आंधी के कारण सड़कों पर पेड़ गिर गए थे, परंतु विभाग के अधिकारियों द्वारा गिरे हुए पेड़ सही जगह पर ले जाने की बजाए बड़े-बड़े पेड़ों को सड़क किनारे ही छोड़ दिया गया। उल्लैखनीय है कि इस तुफान में अकेले डबवाली उपमंडल में सड़क किनारे लगे वन विभाग के करीब 300 से भी अधिक पेड़ जड़ से उखड़ गए है व सैकड़ों पेड़ों की टहनियां टूटकर दूर जा गिरी। प्रकृति की आपदा के कारण उत्पन्न समस्या पर जनता ही दो चार होती रही जबकि विभाग का लाव लश्कर चादर ताने चैन की नींद ले रहा था। इस मौके का फायदा उठाते हुए कुछ लोगों ने खुब लकड़ी का अंबार इक्_ा कर लिया अब जब इस प्राकृतिक विपदा को बीते करीब एक माह होने का है, परंतु वन विभाग के साहब बाबुओं ने क्षेत्र का दौरा कर इन बचे कुचे पेड़ों की सुध लेकर कोरे कागज को काला ही किया है लेकिन इसके विपरित आज भी सैकड़ों वृक्ष लावारीश हालत में बिखरे पड़े हैं। जिनके बारे में ऐसी कमरों में बैठे बाबू लोगों को इन पेड़ों के बारे में सुध लेने तक का समय नहीं है। उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पूर्व भी आए इसी तरह के अंधेड में इसी तरह प्राकृति को काफी नुकसान सहना पड़ा था और सैंकड़ों वृक्ष टूटकर सड़कों पर आ गए थे। वर्षों पूर्व टूटे हुए वृक्ष व टहनियां आज भी गांव डबवाली में स्थित एक धार्मिक सत्संग घर व गांव गोरीवाला से कुछ ही दूूरी पर बनेे र्इंट भट्टे के पास पड़े हैं, जिन्हें दीमक खा रही है। जब इस बाबत विभाग के फोरेस्टगार्ड अशोक कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन वृक्षों की लिस्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है व जल्द ही इनकी बोली करवा दी जाएगी। जब उनसे यह पूछा गया कि उसमें से तो गिनती की ही लकड़ी बची है तो उन्होंने कहा कि ऐसी नहीं है वह लकडिय़ां सुरक्षित है। जबकि वह लकडिय़ा सड़क किनारे पड़ी हुई विभाग की इस सच्चाई की पोल खोल रही है। सैंकड़ों पेड़ों को लोग अपने घर उठाकर ले गए लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर इसी तरह से वन विभाग द्वारा लापरवाही चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हमें सड़क किनारे लगे पेड़ गायब मिलेंगे। इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा रहा है कि वन महकमे के कर्मचारी कितनी सर्तकता बरतते हैं। खास बात तो यह है कि डबवाली-ऐलनाबाद रोड़ पर इतने सुखे पेड़ पड़े हैं कि जिन की तरफ विभाग का कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है और लकड़ी चोरों की पूरी निगाह रहती है। वहीं सड़क किनारे वन विभाग द्वारा छोड़े गए पेड़ों की जगह का जब संवाददाता ने यहां का दौरा किया तो पाया कि कुछ अज्ञात लोग अपने टै्रक्टर व ट्रालियों के जरिए लकड़ी ले जा रहेे थे, उन लोगों से पूछा गया कि आप यह लकड़ी क्योंंंंं उठा रहे हो तो उन्होंने कहा कि यह लकड़ी तो सरकारी है कौन पूछता है। वैसे पहले भी कई बार क्षेत्र में लकड़ी चोरी की घटनाएं हो चुकी है, लेकिन फिर भी वन विभाग उनसे सबक नहीं ले रहा है। वन महकमे के कर्मचारी कई बार तो वन माफियाओं पर कार्यवाही करने केे बजाए पेड़ चोरी की सूचना देने वालों पर ही अपनी रौब जमाने बैठ जाते हैं, जिससे लगता है कि ये कर्र्र्मचारी वन माफियाओं सेे मिले हुए हंै और पेड़ चुराने देने की ऐवज में मोटी रकम खाते हैं। गार्ड राजवीर से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जगह न होने के कारण यहां सड़क किनारे रखने की बजाए पेड़ों को ओर कहां रखें।
जब विभाग के रेंज ऑफिसर चरणजीत सिंह से बात कि गई तो उन्होंने कहा कि इस अंधड से करीब 300 पेडों को नुकसान हुआ है व उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अंधड से जो वृक्ष टूटे थे व लोगों द्वारा जो उठा लिए गए है उन्हें विभाग द्वारा एकत्रित किया जा रहा है और अगर किसी व्यक्ति ने इन पेडों को लौटाने में मनाही की तो उस पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।
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