डबवाली-
गांव सांवतखेड़ा में वृद्धा की हत्या के मामले में अदालत द्वारा निक्का सिंह को सुनाई गई फांसी की सजा से उसके परिवार में मातम का माहौल है। वहीं दूसरी ओर मृतक महिला के परिजनों इसे न्यायालय का इंसाफ बता रहे है। हालांकि गांव इस मामले में पूरी तरह से खामोश है। वहां पर फांसी की चर्चा तो जरूर है लेकिन इस पर प्रतिक्रिया कोई है।
जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय सिरसा द्वारा मंगलवार को हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए फांसी दिये जाने के हुकम के बाद निक्का सिंह के घर पर मातम पसरा हुआ है। परिजन न्यायालय के इस निर्णय से स्तब्ध है।
पत्रकारों की टीम गांव सांवत खेड़ा में निक्का सिंह के घर पहुंची तो निक्का सिंह की माता तेज कौर घर के एक कोने में चारपाई पर पड़ी पुत्र को मिली फांसी की सजा पर आंसू बहा रही थी। कुछ ऐसा ही हाल उसके भाई जग्गा सिंह, चचेरी बहन रानी कौर और गांव के चौकीदार का दायित्व निभा रहे ताया हंसराज का है।
पत्रकारों के समक्ष उसके आंखों से अश्रु धारा बहाते हुए माँ तेज कौर ने कहा कि उसके बेटे के खिलाफ षड्यंत्र करार देते कहा कि न तो गुरदेव कौर के परिवार के साथ कोई दुश्मनी थी और न ही कोई रंजिश थी। बल्कि उनके परिवारों में मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों को जवान किया है। उन्होंने कहा कि हम गरीबों को दो जून की रोटी के लाले पड़े रहते है। इस मामले को लेकर उनका परिवार बिखर गया है। निक्का सिंह की पत्नी हरजिंद्र कौर घटना के दो माह बाद मायके संगरिया चली गई। वहीं उसके भाई जग्गा सिंह ने नम आंखों से कहा कि न्याय तो कुदरत करेंगी लेकिन वे अपने भाई को इंसाफ दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
वहीं दूसरी ओर मृतका गुरदेव कौर के परिवार में न्यायालय द्वारा 395 दिनों को छोटे अंतराल में दिये गये ऐतिहासिक फैसले से संतुष्टि का माहौल है। अपने घर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मृतका के भाई अजायब सिंह ने बताया कि अदालत ने तेजी से सौ फीसदी न्याय दे कर अपराधियों को सबक सिखाया है। इससे भविष्य में कुकृत्य को करने से पहले अदालत का फैसला जरूर याद आयेगा। वहीं उसके भतीजे शिवराज सिंह ने अपनी मृतक बुआ की तस्वीर हाथों में ले उसके अपने परिवार की प्रेरणास्त्रोत व बड़ी बजुर्ग बताते हुए कहा कि उसकी कमी महसूस होती है लेकिन अदालत के फैसले से उन्हें राहत मिली है।
इसके गांव के आम लोगों से बात करने पर निक्का सिंह को फांसी की सजा होने की जानकारी होने के बावजूद मुद्दई और मुजरिम एक ही गांव के होने के कारण कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचते रहे।
जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय सिरसा द्वारा मंगलवार को हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए फांसी दिये जाने के हुकम के बाद निक्का सिंह के घर पर मातम पसरा हुआ है। परिजन न्यायालय के इस निर्णय से स्तब्ध है।
पत्रकारों की टीम गांव सांवत खेड़ा में निक्का सिंह के घर पहुंची तो निक्का सिंह की माता तेज कौर घर के एक कोने में चारपाई पर पड़ी पुत्र को मिली फांसी की सजा पर आंसू बहा रही थी। कुछ ऐसा ही हाल उसके भाई जग्गा सिंह, चचेरी बहन रानी कौर और गांव के चौकीदार का दायित्व निभा रहे ताया हंसराज का है।
पत्रकारों के समक्ष उसके आंखों से अश्रु धारा बहाते हुए माँ तेज कौर ने कहा कि उसके बेटे के खिलाफ षड्यंत्र करार देते कहा कि न तो गुरदेव कौर के परिवार के साथ कोई दुश्मनी थी और न ही कोई रंजिश थी। बल्कि उनके परिवारों में मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों को जवान किया है। उन्होंने कहा कि हम गरीबों को दो जून की रोटी के लाले पड़े रहते है। इस मामले को लेकर उनका परिवार बिखर गया है। निक्का सिंह की पत्नी हरजिंद्र कौर घटना के दो माह बाद मायके संगरिया चली गई। वहीं उसके भाई जग्गा सिंह ने नम आंखों से कहा कि न्याय तो कुदरत करेंगी लेकिन वे अपने भाई को इंसाफ दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
वहीं दूसरी ओर मृतका गुरदेव कौर के परिवार में न्यायालय द्वारा 395 दिनों को छोटे अंतराल में दिये गये ऐतिहासिक फैसले से संतुष्टि का माहौल है। अपने घर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मृतका के भाई अजायब सिंह ने बताया कि अदालत ने तेजी से सौ फीसदी न्याय दे कर अपराधियों को सबक सिखाया है। इससे भविष्य में कुकृत्य को करने से पहले अदालत का फैसला जरूर याद आयेगा। वहीं उसके भतीजे शिवराज सिंह ने अपनी मृतक बुआ की तस्वीर हाथों में ले उसके अपने परिवार की प्रेरणास्त्रोत व बड़ी बजुर्ग बताते हुए कहा कि उसकी कमी महसूस होती है लेकिन अदालत के फैसले से उन्हें राहत मिली है।
इसके गांव के आम लोगों से बात करने पर निक्का सिंह को फांसी की सजा होने की जानकारी होने के बावजूद मुद्दई और मुजरिम एक ही गांव के होने के कारण कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचते रहे।
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