
नई दिल्ली : इस बार दिवाली बहुत कुछ बदल रही है। अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल रही है, उपभोक्ता बाजार के हालात बदल रही है, इस बाजार से जुड़ी कंपनियों की सेहत सुधार रही है। सबसे अहम, नई नौकरियों के रास्ते खोल रही है। इससे निवेशकों के सामने निवेश के नए मौके आ रहे हैं। जुलाई 2009 से शुरू हुई दूसरी तिमाही अर्थव्यवस्था के लिए सुधार के संकेत लेकर आई। पिछले साल शुरू हुई मंदी में कमर तुड़वा बैठी कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों की सेहत फिर से सुधरने लगी है। उस पर त्योहारों के इस मौसम ने ऐसी मेहरबानी की कि इस क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री में त्योहारों के दौरान औसतन 35-40 फीसदी की वृद्धि होने की खबर है। पछले 45 दिनो में सैमसंग की टीवी की बिक्री में 100 फीसदी, फ्लैट टीवी की बिक्री में दो सौ फीसदी, वाशिंग मशीन की बिक्री में 60 फीसदी, फ्रिज की बिक्री में 80 फीसदी की वृद्धि हुई है। एलजी के उत्पादों की बिक्री भी आम महीनों की तुलना में दोगुनी हो गई है। अर्थव्यवस्था में सुधार का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की सबसे बड़ी संगठित रिटेल कंपनी फ्यूचर ने एक दिन में 75 करोड़ रुपये के केवल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की बिक्री की है। मौजूदा हफ्ते के दौरान कंपनी ने 500 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की बिक्री का लक्ष्य रखा है। आम तौर पर इतनी बिक्री कंपनी एक महीने में करती है। तकरीबन यही हाल ऑटो क्षेत्र का भी है। एक अक्टूबर, 2009 के बाद के पहले 15 दिनों के दौरान ही मारुति और हुंडई ने इतनी कारों की बिक्री की है जो पिछले वर्ष के दौरान पूरे त्योहारी सीजन की बिक्री से ज्यादा है। दोनों कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने जागरण को बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों तक रिकार्ड बिक्री का यह सिलसिला जारी रहेगा। हालांकि अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधार ने आम आदमी के लिए बचत के रास्ते भी सीमित किए हैं। महंगाई की दर बढ़ने के साथ-साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी आशंका भी बढ़ती जा रही है। बैंकों ने डिपॉजिट पर ब्याज दरें घटाने की शुरुआत भी कर दी है। ऐसे में बचत के लिए लोगों के सामने अब दूसरे विकल्पों को अपनाना होगा। पिछले कुछ महीनों से होम लोन देने में आनाकानी कर रहे निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों (आईसीआईसीआई और एचडीएफसी) ने भी अपने दिल उदार कर लिए हंै।
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