Young Flame Headline Animator
शनिवार, 17 अक्टूबर 2009
गांवों के लिए अलग मेडिकल कालेज
नई दिल्ली- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि गांवों में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार जल्दी ही मेडिकल शिक्षा का वैकल्पिक माडल लागू करने वाली है। इससे गांवों से ज्यादा डाक्टर तैयार हो सकेंगे और ये उसी इलाके की सेवा भी कर सकेंगे। आजाद के मुताबिक मौजूदा व्यवस्था के साथ ही एक वैकल्पिक मेडिकल शिक्षा व्यवस्था भी शुरू की जा रही है। इसके तहत दस हजार से कम आबादी वाले गांवों के छात्रों को ही दाखिला दिया जाएगा। इस समानांतर व्यवस्था की वजह से गांव के छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा ज्यादा सुलभ हो जाएगी। मगर इनके लिए शर्त सिर्फ यह रहेगी कि एक नियत समय तक उन्हें गांवों में ही रह कर प्रैक्टिस करनी होगी। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर चुका है। जल्दी ही इसे लागू किया जाएगा। आजाद ने कहा कि इस तरह शहरों और गांवों के बीच की खाई पाटी जा सकेगी। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में कहीं भी मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी से समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए निजी क्षेत्र का पूरा सहयोग लेने की कोशिश कर रही है। कंपनियों को मेडिकल कालेज खोलने की इजाजत देने और नए मेडिकल कालेज खोलने के नियमों में दी गई ढिलाई के बाद अब कुछ वर्षो के अंदर ही देश में मेडिकल पेशेवरों की कमी दूर हो जाएगी। आजाद वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन की आम सभा में बोल रहे थे। इस मौके पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने डाक्टरों से कहा कि मरीज आपकी ओर बेहद उम्मीद से आता है इसलिए उसकी अपेक्षा पर खरा उतरना चाहिए। डाक्टर का सबसे पहला ध्येय मरीज की भलाई होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने देश में चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसी खोज की जानी चाहिए जिससे इलाज सस्ता हो सके। इस लिहाज से वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का भी सहयोग अहम हो सकता है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें