
2011 की जनगणना के लिए जब सरकारी कर्मचारी आपके दरवाजे आएंगे तो वे आपसे सभी अंगुलियों के निशान (फिंगर प्रिंट) देने को कह सकते हैं। यही नहीं, आपकी आंख का स्कैन (इलेक्ट्रानिक चित्र) भी किया जा सकता है। दरअसल, इसका इस्तेमाल देश के हर नागरिक को खास नंबर देने की महत्वाकांक्षी सरकारी योजना में किया जाएगा। यूनिक आईडेंटीफिकेशन नंबर (यूआईडी) योजना के तहत पहला नंबर अगले एक से डेढ़ साल के अंदर जारी होने की उम्मीद है। इसे सबसे पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के लाभार्थियों को दिया जाएगा। लेकिन, यूनिक आईडेंटीफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया (यूआईडीएआई) के प्रमुख नंदन नीलेकणि ने स्पष्ट किया है कि 16 अंकों वाला यह नंबर हर व्यक्ति को अलग पहचान तो देगा लेकिन इससे किसी को कोई अधिकार नहीं मिलेंगे, मसलन नागरिकता सरीखे। नीलेकणि ने उन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि यूआईडी के जरिए अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यूआईडी किसी को कोई अधिकार नहीं देगा। नीलेकणि ने कहा, गृह मंत्रालय के साथ हमने एक करार किया है। इसके तहत वर्ष 2011 की जनगणना में बायोमीट्रिक तरीके भी इस्तेमाल किए जाएंगे। जनगणना के दौरान हर व्यक्ति की सभी अंगुलियों के निशान भी लिए जाएंगे। आंख के स्कैन का विकल्प भी खुला है। नीलेकणि ने कहा, इस योजना के लिए कई हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। लेकिन, रकम कहां से आएगी यह अभी तक तय नहीं हुआ है। उन्होंने उन खबरों का खंडन किया कि इस प्रोजेक्ट पर करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। यूआईडी का मुख्य मकसद गरीब और हाशिए पर चले गए लोगों तक सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ पहुंचाना है। पहचान के अभाव में ऐसे लोग सरकारी कार्यक्रमों का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।
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