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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009

कोर्स के नाम पर लूटने वालो सावधान


50 लाख का होगा जुर्माना
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सरकार ने इंजीनियरिंग, प्रबंधन, मेडिकल और ऐसे ही दूसरे व्यावसायिक व गैर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के नाम पर लूटखसोट व धोखाधड़ी करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों पर नकेल डालने की तैयारी कर ली है। दाखिले के लिए कैपिटेशन फीस की वसूली भी दंड के दायरे में होगी। इन मामलों के दोषी उच्च शिक्षण संस्थानों पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना और उन्हें संचालित करने वालों को तीन साल तक की सजा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में सभी तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए प्रस्तावित तकनीकी व मेडिकल शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों में गलत कार्य निषेध विधेयक-2009 के मसौदे को कानून मंत्रालय की भी मंजूरी मिल गई है। बताते हैं कि विधेयक में छात्रों से कैपिटेशन फीस वसूलने, महंगा ब्रोशर (विवरणिका) बेचने, संस्थान के स्तर और वहां पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों, फैकल्टी आदि के बारे में गलत जानकारी देने और दाखिले में हेराफेरी जैसे मामलों में दंड के लिए काफी कड़े प्रावधान किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि विधेयक में इन मामलों के दोषी उच्च शिक्षण संस्थानों पर 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही जिम्मेदार पदाधिकारी को तीन साल तक की सजा भी हो सकती है। जुर्माना व सजा एक साथ भी हो सकती है। मालूम हो कि विधेयक के शुरुआती मसौदे में दस साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था, लेकिन अब उसे तीन साल कर दिया गया है। बताते हैं कि अभी यह तय नहीं है कि जेल की सजा संस्थान के निदेशक या विश्वविद्यालयों के कुलपतियों या फिर प्रबंधतंत्र में से किस पदाधिकारी को होगी। लेकिन विधेयक को अंतिम रूप दिया जा चुका है और उसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) के सामने लाने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा में सुधार के एजेंडे के तहत सरकार ने एक साथ कई पहलुओं पर काम शुरू कर दिया है। मसलन शिक्षकों, गैर शिक्षकों, प्रबंधतंत्र और छात्रों से जुड़े मामलों में सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल बनाने संबंधी विधेयक को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। यह ट्रिब्यूनल राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर बनेगा। राज्य ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकेगी, जबकि उसके फैसले के खिलाफ सिर्फ सुप्रीमकोर्ट का ही दरवाजा खटखटाया जा सकेगा। ट्रिब्यूनल में चेयरमैन समेत तीन सदस्य होंगे। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या फिर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ट्रिब्यूनल के चेयरमैन होंगे।

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