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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009

हमें तो था पता अब जानेगा सारा जहां


( डॉ सुखपाल)-

विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अगुवा होने का दावा करने वाले पश्चिमी देशोंके डींग हांकने के दिन लद गए हैं। अब सारी दुनिया जानेगी कि हम क्या थे। अगले साल होने वाले कामनवेल्थ खेलों के समय यहां आने वाले विदेशियों को इस बात का अहसास कराया जाएगा कि विज्ञान के कई क्षेत्रों में भारत सदियों पहले जो कर चुका है, उसकी जानकारी उन्हें बहुत बाद में हुई। विदेशियों को अपने ज्ञान-विज्ञान से परिचित कराने की तैयारियों के सिलसिले में नई दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में विज्ञान और तकनीकी धरोहरों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। प्रदर्शनी में शामिल किए गए प्रमाणों के मुताबिक सैकड़ों साल पहले उत्तर भारत में सर्जरी द्वारा कुरूप नाक को सुंदर आकार दिया जा रहा था। इस तकनीक में व्यक्ति के माथे की त्वचा को हटाकर इस तरह स्थिर किया जाता था जिससे नई मुखाकृति फिर से बन जाती थी। यह वह समय था जब दंड स्वरूप अपराधियों की नाक काट ली जाती थी। ऐसे समय में सर्जरी द्वारा ही भारत में उस कटी नाक को फिर से सही आकार दिया जाता था। हाल ही में हमारे चंद्रयान ने जब चंद्रमा पर पानी के मौजूदगी की जानकारी दी तो पश्चिमी जगत चौंक उठा क्योंकि उनकी नजर में हमारी छवि ठगों और जादूगरों के देश की है। जबकि हकीकत है कि चांद पर पानी के आविष्कार से सदियों पहले भी हम कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हमारे खाते में दर्ज हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि ईसा से 600 साल पहले दुनिया के पहले सर्जन हिंदुस्तान की सरजमीं पर पैदा हुए थे। आज सर्जरी के विभिन्न रूपों को विकसित करने का मूल श्रेय इनको ही जाता है। ये महान सर्जन थे सुश्रुत। हर क्षेत्र में कुलीन मानने वाले यूनानी भी हमसे चिकित्सा के सर्जरी क्षेत्र में पीछे हैं। यूनानियों के फादर आफ मेडिसिन हिप्पोक्रेटस से डेढ़ सौ साल पहले सुश्रुत भारत में सर्जरी को नया आयाम दे रहे थे। जबकि हिप्पोक्रेटस की प्रसिद्धि का यह आलम है कि आज भी डाक्टरों को इनके नाम की शपथ दिलाई जाती है। दुनिया को सर्जरी का ज्ञान देने वाले सुश्रुत ने अपने चिकित्सकीय विचारों, विधियों और तकनीकों पर सुश्रुत संहिता नामक एक ग्रंथ भी लिखा है। उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार इस ग्रंथ में 650 अलग अलग दवाओं, 300 किस्म के आपरेशन, 42 तरह की शल्य चिकित्सा विधियों सहित 121 प्रकार के उपकरणों का विस्तृत विवरण दिया गया है। इस प्रदर्शनी के आयोजकों और मदद करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार दवाओं का सबसे प्राचीन उल्लेख भारतीय ग्रंथ वेदों में मिलता है। वेदों को ईसा से एक हजार से तीन हजार साल पहले के बीच में लिखा गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार लौह युग के पहले भी रसायन विद्या, खगोल विद्या, कृषि, माप-पद्धति और धातु विद्या जैसे क्षेत्रों में हिंदुस्तान ने कई उपलब्धियां अर्जित की हैं।

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