
( डॉ सुखपाल)-
: हरियाणा विधानसभा से विश्वास मत पर गैर मौजूद रहकर हजकां अभी बहुमत के खेल को लंबा चलाना चाहती है। बेशक सरकार ने सदन में बहुमत हासिल कर लिया है, पर निर्दलीय विधायकों के सहारे स्थायीत्व नहीं आ सकता, क्योंकि हर निर्दलीय विधायक की बड़ी-बड़ी मांगे रहती हैं। सरकार को किसी न किसी तरह से हजकां या हजकां विधायकों को मैनेज करना जरूरी है। हजकां के अध्यक्ष विश्वास मत के बाद निर्दलीय विधायकों के रुख, गति व चाल को देखना चाहते हैं कि वे किस तरफ जा रहे हैं। निर्दलीय क्या-क्या शर्ते रखते हैं। कौन-कौन से मंत्री पद मांगते हैं और कांग्रेस किस हद तक इसके लिए तैयार होती है। इसके बाद ही कुलदीप अपना दांव फेंकेंगे। इधर बीच-बीच में हजकां के विधायकों की हुड्डा सरकार के पक्ष में जाने की अफवाहें भी चलती रहती हैं पर कुलदीप का कहना है कि हजकां पूरी तरह एकजुट है। चुनाव नतीजों के बाद ही कांग्रेस और हजकां में बातचीत शुरू हो गई थी। कांग्रेस चाहती है कि कुलदीप हजकां का विलय कांग्रेस में कर दें और इसके एवज में जो भी उनकी मांग होंगी, मान ली जाएंगी। कारण यह है कि अगर कांग्रेस के 40 विधायकों में हजकां के छह विधायक शामिल हो जाते हैं तो पूरे पांच साल सरकार के स्थायीत्व पर कोई बड़ा सवालिया निशान नहीं लगेगा। पर कुदलीप विलयके लिए हरगिज तैयार नहीं। कुलदीप हजकां के वजूद को कायम रखकर शरद पवार की तरह महाराष्ट्र पैट्रन पर कांग्रेस से संबंध बनाकर रखना चाहते हैं। यह भी पता चला है कि अगर हजकां सरकार को समर्थन देती है तो कुलदीप खुद अपने लिए कोई मंत्री पद नहीं लेंगे। वे अपने विधायकों में ही मलाई बांटेंगे। समझौते के किसी बिन्दू पर पहुंचने के लिए कुलदीप ने कांग्रेस के सामने एक कामन मिनीमम प्रोग्राम बनाने की भी शर्त रखी है, जिसमें हजकां के घोषणा पत्र के प्रमुख पहुलओं को शामिल किया जाएगा। कुलदीप चाहते हैं कि इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए दोनों दलों की एक सांझा कमेटी भी बने ताकि प्रदेश के विकास का कोई संशय न रहे। गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव नतीजों में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। कांग्रेस को 40, इनेलो को 32, हजकां को 6, बीजेपी को 4, निर्दलीयों को 7 और बीएसपी को 1 सीट मिली है। कांग्रेस ने सात निर्दलीय और 1 बसपा विधायक के साथ सरकार बना ली है। हजकां ने विकल्प खुले रहे हैं और कांग्रेस व इनेलो दोनों तरफ से उन्हें चारा डाला जा रहा है।
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