
पिया के परदेस कमाने जाने पर पहले महिलाएं एक फिल्मी गाना गुनगुनाती थीं.. परदेस जा के परदेसिया,भूल न जाना पिया। अब इस गाने को बदल कर कहना पड़ रहा हैं.. परदेस जा के परदेसिया, एड्स न लाना पिया। वैशाली जिले में खतरे की घंटी बज चुकी है, यहां एचआईवी पाजिटिव लोगों की संख्या पांच सौ के पार हो चुकी है। जिले में इस वर्ष करीब 1200 लोगों की जांच करायी गयी है। समेकित परामर्श एवं जांच केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 518 लोग ऐसे चिह्नित किये गये हैं जो एचआईवी/एड्स के साथ जी रहे हैं। विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में 54 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा संक्रमितों की संख्या हाजीपुर एवं लालगंज प्रखंड में पायी गयी है। कई ऐसे गांव-टोले चिह्नित किये गये हैं, जहां दर्जनों की संख्या में लोग पीडि़त हैं। इस गंभीर बीमारी से महिलाएं और बच्चे तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। 14 एड्स संक्रमित बच्चे पहचाने गये हैं। ये सभी अपने पिता की गलती के चलते अनाथ हो गए हैं। एड्स का तेजी से प्रसार होने के पीछे जो महत्वपूर्ण मूल कारण सामने आ रहा हैं, वह है पलायन। राज्य में कई दशकों से जारी आर्थिक बदहाली के चलते मेहनतकश लोगों का रोजी-रोटी के लिए महानगरों का रुख करना जारी है। इनमें जिन लोगों ने पत्नी से दूर रहने के दौरान असुरक्षित यौन संबंध बनाये, उनमें से कुछ को इस लाइलाज बीमारी का शिकार होना पड़ा। बात यहीं रुक जाती, लेकिन इन संक्रमित लोगों ने घर लौट कर पत्नी से संबंध बनाये। बीमारी पत्नी से होकर बच्चों में बंटने लगी। ऐसी नादानी कर वालों में ड्राइवरों की संख्या सबसे ज्यादा है। अशिक्षा और यौन व्यवहार में असावधानी के चलते बीमारी फैलती जा रही है। जागरूकता की भी कमी है। इसे ध्यान में रख कर यूनिसेफ ने इस साल यहां लक्ष्य कार्यक्रम की शुरूआत की है। हाजीपुर, लालगंज, वैशाली, भगवानपुर, महुआ, पातेपुर, महनार, बिदुपुर एवं राघोपुर प्रखंड के 29 गांवों में नारायणी सेवा संस्थान महीनों से काम कर रहा है। 20 गांवों में अब तक रेड रिबन क्लब का गठन किया गया है। 40 लिंक वर्कर एवं 80 स्वयंसेवक काम कर रहे हैं जो न सिर्फ हमउम्र के युवाओं को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि एड्स जांच के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके अलावा सभी चयनित गांवों में ग्राम सहायता समूह का गठन किया गया है। मुखिया एवं सरपंच इसके अध्यक्ष होते हैं। पहली बार गर्भवती महिलाओं की जांच करायी जा रही है ताकि एचआईवी पाजिटिव पाये जाने की स्थिति में सुरक्षात्मक कदम उठाया जा सके। 55 कांडोम डिपो खोला गया है ताकि लोग इसका उपयोग कर सुरक्षित यौन संबंध स्थापित कर सकें। जिला एड्स नियंत्रण इकाई के परियोजना समन्वयक मनीष कुमार शंकर के अनुसार समेकित परामर्श एवं जांच केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 518 लोग एचआईवी/एड्स के साथ जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जागरूक करने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं तथा आशा कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित कर उन्हें लगाया गया है। एड्स संक्रमित लोगों की सूची बनाई जा रही है, ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जा सके।
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