
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के चलते दिल्ली से हटाये जा रहे भिखारियों ने ताज नगरी को ठिकाना बनाया है। दिल्ली से नजदीक और पर्यटन नगरी होने की वजह से आगरा उनके लिये मुफीद है। अब तक सैकड़ों भिखारी शहर में प्रवेश कर चुके हैं। दिल्ली सरकार ने 2010 के कामनवेल्थ गेम्स से पहले राजधानी को साफ सुथरा बनाने का अभियान छेड़ रखा है, इनमें राजधानी में मौजूद भिखारियों की बड़ी फौज को हटाना भी शामिल है जिन्होंने सड़कों और चौराहों (लालबत्तियों) के इर्द-गिर्द कब्जा जमा रखा था। सरकारी मुहिम ने इन्हें पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। दिल्ली से चार दिन पूर्व कुनबे समेत यहां आने वाली सावित्री (65) ने एमजी रोड के फुटपाथ पर डेरा डाल रखा है। मूलत: राजस्थान की निवासी सावित्री ने बताया कि 15 साल से भी ज्यादा समय वह दिल्ली में फुटपाथ पर रही। वहीं पर भीख मांग कर बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया। यहां आने वाली वह अकेली नहीं है। बबीता, भूरी, माया, रजनी, मालती जैसी दर्जनों महिलाएं परिवार सहित यहां आ गई हैं। मध्य प्रदेश के मोहम्मद, फर्रुखाबाद के रामदीन, सूरज, किशोरी, हरी आदि ने भी एमजी रोड के फुटपाथ पर डेरा डाल रखा है। बहुत से भिखारियों ने कैंट, फोर्ट रेलवे स्टेशन, बिजलीघर, लाल किले के आसपास ठिकाना बनाया है। कैंट स्टेशन पर उतरने वाले सैलानियों को घेरना शुरू कर दिया है। तरीका वही दिल्ली वाला है लाल बत्ती पर किसी गाड़ी के रुकते ही उसे कमीज से साफ करना फिर एवज में पैसे मांगना। कम उम्र बच्चे सामान बेचते नजर आते हैं।
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