
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में भले ही कांग्रेस के दिग्गजों के बेटा-बेटी बाजी मार ले गए हों, लेकिन मंत्रिमंडलीय सदस्यों को चुनते वक्त मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने उनमें से किसी को भाव नहीं दिया। चुनाव परिणामों के 17 दिनों बाद गठित हुई सरकार को देख कर लगता है कि कांग्रेस हाईकमान ने चह्वाण को सरकार बनाने और चलाने की पूरी छूट दी है। महाराष्ट्र की 13वीं विधानसभा के लिए शनिवार को कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के कुल 38 मंत्रियों ने शपथ ली। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण समेत 12 कैबिनेट एवं छह राज्य मंत्रियों तथा राकांपा की ओर से उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल समेत 15 कैबिनेट एवं पांच राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। पांच मंत्रियों का शपथ ग्रहण अभी बाकी है। इसी में छिपा है कांग्रेस- राकांपा का झगड़ा। राकांपा पांच में से एक पर अभी भी कब्जा मान रही है, जबकि कांग्रेस सभी रिक्त पद अपने कोटे के बता रही है। मंत्रिमंडल में कांग्रेस-राकांपा दोनों ने कई नए चेहरों को जगह दी है। राकांपा के मंत्रियों एवं उनकी कुल संख्या देख कर लगता है कि अगले पूरे पांच साल वह कांग्रेस पर दबाव बनाए रखना चाहती है। राकांपा की इस मंशा से निपटने के लिए ही शायद कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री को उनकी मर्जी का मंत्रिमंडल गठित करने की छूट दी है, ताकि वे किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त होकर सरकार चला सकें। चह्वाण ने अपने मंत्रिमंडल में किसी दिग्गज नेता के पुत्र या पुत्री को जगह नहीं दी है। माना जा रहा था कि राहुल की युवा ब्रिगेड तैयार करने के लिए अशोक इस बार केंद्रीय मंत्रियों सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख एवं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पुत्र-पुत्रियों को कम से कम राज्य मंत्री तो बनाएंगे ही। नारायण राणे, पतंगराव कदम या पूर्व मुख्यमंत्री देशमुख के समर्थकों को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। चह्वाण ने अपने करीब आधा दर्जन समर्थकों को मंत्रिमंडल में लेकर महाराष्ट्र की मराठा राजनीति में ताकत बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं। यह और बात है कि देशमुख व राणे जैसे छत्रपों से उन्हें पार्टी में ही तगड़ी टक्कर मिलती रहने की पूरी संभावना है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे एवं मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह को गत लोस एवं विस चुनावों में अच्छा परिणाम दिलवाने के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। कृपाशंकर को मुंबई में उत्तर भारतीयों के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रिमंडल में लिए जाने की उम्मीद थी पर चह्वाण ने संगठन की जिम्मेदारी के बहाने उन्हें किनारे कर दिया। उन्होंने पिछली सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर (अकबरपुर) जिले के मूल निवासी मोहम्मद आरिफ नसीम खान को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर एक ही व्यक्ति से उत्तर भारतीय एवं मुस्लिम दोनों कोटों का काम चला लिया।
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