
यूनेस्को ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि भारत में एक से बढ़कर एक गैर मुगलकालीन स्मारक होने के बावजूद यहां की सरकार अक्सर मुगलकालीन स्मारकों को ही विश्र्व धरोहर बनाने पर जोर देती है। यूनेस्को ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह अपना नजरिया थोड़ा विस्तृत करे और गैर मुगलकालीन स्मारकों को भी विश्र्व धरोहरों में शामिल कराने पर जोर दे। वैसे यूनेस्को ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा की जा रही नई कोशिशों की सराहना की है, लेकिन साथ ही जल्दबाजी के प्रति यह कहते हुए आगाह किया है कि शिक्षा का क्षेत्र बहुत व्यापक है और शैक्षिक सुधार रातोंरात नहीं होते। यूनेस्को की संस्कृति कार्यक्रम विशेषज्ञ मोइचिबा ने कहा कि फिलहाल भारत की 27 साइट्स विश्व धरोहर में शामिल हैं। सबसे बाद में लालकिले को शामिल किया गया था। हालाकि सरकार ने कुछ और सिफारिशें भी की हैं। उन्होंने कहा कि भारत में वैसे तो तमाम ऐतिहासिक स्मारक हैं, लेकिन सरकार ने ज्यादातर मुगलकालीन स्मारकों को ही विश्र्व धरोहर के रूप में शामिल करने की सिफारिश यूनेस्को से की है। जबकि उसे गैर-मुगलकालीन स्मारकों को भी विश्व धरोहर में शामिल कराने पर जोर देना चाहिए। इस दौरान यूनेस्को के भारत में नवनियुक्त निदेशक ए परसुरमन ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून भारत का एक बड़ा फैसला है, लेकिन उसे प्रभावी बनाने के बाबत पूरे देश को तैयार करना होगा। भारत के सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन जो नए कदम उठाए गए हैं, वह उसे लक्ष्य तक पहंुचा सकते हैं। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि शिक्षा एक बहुत उलझा हुआ विषय है और उसमें कोई भी बदलाव रातोंरात नहीं हो सकता। यूनेस्को ने अपनी 64वीं वर्षगांठ पर भारत में भी दर्जन भर कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी की है। बुधवार को भारत के शिक्षा दिवस कार्यक्रम में यूनेस्को के महानिदेशक के मत्सुरा भी शिरकत करेंगे। जबकि 12-13 नवंबर को अगले दो वर्षो में यूनेस्को की भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल व श्रीलंका के लिए कार्ययोजना भी दिल्ली में बनेगी, जिनमें इन सभी देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यूनेस्को मदर टेरेसा की सौवीं व नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 150 वीं वर्षगांठ को भी खास तरीके से मनाएगा।
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