
नई दिल्ली : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तमाम दावों के विपरीत विश्वविख्यात स्मारक कुतुबमीनार अभी भी झुक रही है। इसका खुलासा ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा पांच साल के बाद इस माह किए गए तकनीकी अध्ययन में हुआ है। मीनार में झुकाव प्रति वर्ष ढाई सेकेंड के आसपास है। ज्ञात हो कि सेकेंड, कोण या झुकाव मापने की डिग्री और मिनट के बाद सबसे छोटी इकाई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) पिछले साल से कह रहा था कि कुतुब मीनार का झुकाव रुक गया है। एएसआई के अधिकारियों ने बताया था कि उन्होंने कुतुबमीनार के झुकने के कारण के बारे में पता लगा कर पूरा बंदोबस्त कर दिया है। बताया गया था कि बरसाती पानी से मीनार की जड़ में 45 फुट गहराई में लगे लाल पत्थर को नुकसान पहुंचने के कारण मीनार झुक रही थी। इसके बाद कुतुबमीनार के ड्रेन सिस्टम को दुरुस्त किया गया था। मगर ताजा अध्ययन से पता चला है कि कुतुबमीनार अभी भी दक्षिणी पश्चिमी दिशा में झुक रही है। ज्ञात हो कि कुछ माह पहले संसद में इस मामले को लेकर हंगामा हुआ था। इसके बाद केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने कुतुबमीनार के झुकाव का पता लगाने के लिए प्रति वर्ष भू-तलीय सर्वेक्षण कराने के निर्देश दिए थे। जिसके आधार पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देहरादून स्थित भू-तलीय अनुसंधान शाखा ने 4 नवंबर से कुतुबमीनार का तकनीकी अध्ययन शुरू किया था, जो अब पूरा हो चुका है। सर्वे के लिए पिछले वर्षो के निर्धारित ईस्ट और वेस्ट बिंदुओं को लिया गया था। पूरे अध्ययन में एक सौ से भी अधिक बार एक ही प्वाइंट से कुतुबमीनार का सर्वेक्षण किया गया। यह सर्वेक्षण तापमान को ध्यान में रखते हुए सुबह, दोपहर, शाम व रात को किया गया। सूत्रों से पता चला है कि इस अध्ययन में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि कुतुबमीनार दक्षिण पश्चिम की ओर झुक रही है। जिसके झुकाव की सालाना दर 0.5 से लेकर ढाई सेकेंड के बीच मिली है। इस हिसाब से यदि हम प्रति वर्ष का आकलन करें तो 2004 के बाद अब तक कुतुबमीनार इस दिशा में साढ़े 12 सेकेंड झुक चुकी है। इस मामले की रिपोर्ट संस्थान के देहरादून स्थित कार्यालय द्वारा आगामी कुछ महीनों में ही सरकार को सौंपी जाएगी। ज्ञात हो कि 12 वीं सदी में बनी कुतुबमीनार का 1952, 1972 और 1983 में भूगणितीय सर्वेक्षण किया जा चुका है। मगर इस दौरान कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई। एएसआई द्वारा 2004 में कराए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि 1984-2004 के बीच कुतुबमीनार दक्षिण पश्चिम की दिशा में झुकी थी।
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